Vinay Singh   (©'विनय')
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क़लमघसीट ونی سنگھ
Joined 15 August 2017


क़लमघसीट ونی سنگھ
Joined 15 August 2017
27 JUN AT 7:41

“ तिरा औ' मिरा इश्क़ मैं कामयाब देखूँ
तुम मिरे सपने देखो मैं तुम्हारे ख़्वाब देखूँ ”

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1 JAN 2022 AT 0:27

“ नया साल तुम्हारा ख़ुशगवार गुज़रे है
तेरे संग बिताये लम्हे यादगार गुज़रे है
जो मर्सिया पढ़ा था मायूस निग़ाहों ने
आज वही पल भी चमकदार गुज़रे है ”

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7 DEC 2021 AT 10:42

“ उफ़्फ़ साल-हा-साल गर्मी-ए-रफ़्तार
मैं तिरी जबीं से टपकता पसीना हूँ
यूँ हँस कर मुझ पर क़सीदा पढ़ने वालों
मैं ख़ाक-ए-सर्द दिसंबर का महीना हूँ ”

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7 NOV 2021 AT 21:23

फ़ज़ाओं में बिखरा धुंध गहरा है
जैसे शहर में बसा कोई सहरा है

चुभन आँखों में जलन सीने में है
जाने कैसा जख़्म मुझ में ठहरा है

नक़ाब लगाये फिरते हैं यहाँ सारे
दिल्ली तेरा अब ये कैसा चेहरा है

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18 SEP 2021 AT 12:20

नदी खारे समंदर के लिए जज़्बात से तर है
समंदर को पता है ये नदी का वो मुक़द्दर है
वफ़ा और बेवफ़ाई की मिसालें हैं यही दोनों
समंदर की कई नदियाँ, नदी का इक समंदर है

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5 SEP 2021 AT 22:19

ज़िन्दगी से बड़ी कोई पाठशाला, कोई कॉलेज, कोई यूनिवर्सिटी नहीं होती है. ज़िन्दगी हर पल हमें कुछ नया पढ़ाती और सिखाती है. ज़िन्दगी की इस राह में सबसे मिलते गए, सबसे कुछ न कुछ सीखते गए. सबका कुछ न कुछ उधार है, इसलिए सबका आभार है. #happyteachersday ❤️🙏

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15 AUG 2021 AT 8:29

“ हम बेशक़ इतराते हैं रोज़ कि मुल्क़ मेरा आज़ाद है ,
शहीदों ने लहू ऐसा निचोड़ा कि पूरा हिन्द आबाद है ”

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1 AUG 2021 AT 10:48

“ रस्म-ए-यारी नहीं होती यह बताई जाए
दोस्ती गर की जाए तो वह निभाई जाए ”

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30 JUN 2021 AT 0:30

“ यूँ देखिए तो आँधी में बस इक शजर गया
लेकिन न जाने कितने परिंदों का घर गया

जैसे ग़लत पते पे चला आए कोई शख़्स
सुख ऐसे मेरे दर पे रुका और गुज़र गया

मैं ही सबब था अबके भी अपनी शिकस्त का
इल्ज़ाम अबकी बार भी क़िस्मत के सर गया ”

- राजेश रेड्डी

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13 JUN 2021 AT 23:13

“ तुम से मिल कर भी मैं मिला नहीं
गर तुझे उन बातों का गिला नहीं
बयां कर दिया जो महसूस किया
दिल में मिरे अब कोई सिला नहीं ”

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