पल पल साल गुजर जायेगा हर एक सांस मे दिल तुझे चाहेगा
सजाये है लम्हे जो तेरे संग जीने के तुझ बिन दिल उन्हें सोच भी नहीं पायेगा।
उम्र बक्शे मालिक तुम्हे उतनी मुक़्क़मल ख्वाब कोई अधूरा जिसमे रह नहीं पायेगा
ख्वाहिशो के समुन्दर के सब मोती तेरे नसीब हो दिल ये दुआ किये बिन रह नहीं पायेगा।
ना जी सकेगा अबीर तुझ बिन एक पल भी मेरे जाना
ज़ो लगे कमी जीने मे अबीर खुद की साँसे तुझे दे जाएगा।
जन्मदिन की हार्दिक शुभ कामनाएं ❤❤-
ज़िन्दगी का खेल भी अजीब है यारो
कभी हॅसाती है कभी रुलाती है!
हाथो मै जो लिखा है उसको आजमाती है
मिल जाये मंज़िले तो ख्वाइशें बढ़ाती है!
ना मिले मंज़िले तो गिर कर उठना सिखाती है
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Manna ki kuch galtiya humse bhi hui hai
Na tumhe itni shiddat se chahte aur na Dil lgaane ki sjaa milti..💔💔-
इबादत तुझे बना लू या बना लू मै खुदा
अब से है तू जिंदगी और जीने की वजह।
रुक भी गया राह मे तो हार नहीं मानूंगा
मुश्किलें क्या रोकेंगी अब मेरा रास्ता।
बदलेगा वक़्त मेरा और नज़रिया दुनिया का
रोके नहीं रुकेगा तुझ संग मिलन का कारवा!!
❤ इश्क़- ए -UPSC ❤-
पल पल साल गुजर जायेगा हर एक सांस मे दिल तुझे चाहेगा
सजाये है लम्हे जो तेरे संग जीने के तुझ बिन दिल उन्हें सोच भी नहीं पायेगा।
उम्र बक्शे मालिक तुम्हे उतनी मुक़्क़मल ख्वाब कोई अधूरा जिसमे रह नहीं पायेगा
ख्वाहिशो के समुन्दर के सब मोती तेरे नसीब हो दिल ये दुआ किये बिन रह नहीं पायेगा।
ना जी सकेगा अबीर तुझ बिन एक पल भी मेरे गुड्डा
ज़ो लगे कमी जीने मे अबीर खुद की साँसे तुझे दे जाएगा।
जन्मदिन की हार्दिक शुभ कामनाएं प्रीति ❤❤
आपका
नील परा!!-
(Ishq-e-UPSC)
बहुत गहरा है रिश्ता इश्क़ का मेरे,
भुला कर सब दिल तुझसे लगाया है।
यूँ तो कामयाब मै आज भी हूँ,
पर दिल पर फितूर तेरा ही छाया है।
ना रुकूँगा ना हारूँगा सँग चलूँगा तेरे,
ख्वाब तुझे पाने का दिल में सजाया है।
जब तक है साँसे ना कोशिशे थमेगी मेरी,
मुक़्क़मल करूँगा ख्वाब जो मैंने सजाया है।।
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अनमोल हो तुम कोहिनूर से ज्यादा
अज़ीज़ हो तुम सब रिश्तो से ज्यादा!
ना छल का कोई कतरा है तुम मे
पवित्र हो तुम निर्मल गंगा से ज्यादा!!
ना चाह है किसी के विनाश की
प्रेम है तुम मे खुद रब्ब से ज्यादा !
दुआ है हमारी रहो तुम सदा खुश
खुदा बरसाए आशीष तुम पर जन्नत से ज्यादा!!
जन्मदिन की हार्दिक शुभ कामनाये
"सौरभ".-
बेशक़ गुम हो गया हूँ मैं जमाने की भीड़ मे
मगर हारा नहीं हूँ जीत कर रहूँगा!
गिरा हूँ लाख बार फिर से उठूंगा फिर से चलूँगा
बह जाए भले ही मेरे लहू का कतरा कतरा
मंज़िल को हासिल मैं करके रहूँगा!!
देखे है जो सपने मेरी आँखों से माँ और बाबा ने
उन्हें ना कभी टूटने दूंगा
जिद है मेरी अब मुझसे ही
सपनो को हक़ीक़त मैं कर के रहूंगा!!
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ऐ दिल औकात मे रहना सीख ले
तू ठोकरों के लायक है
उस हाल मे रहना सीख ले!!!!!
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हवाओं से लड़ना सीख रहा हूँ, अभी मैं चलना सीख रहा हूँ
समझों ना कोशिशों को हार मेरी, गिर कर सँभलना सीख रहा हूँ..
जो लगी है सिस्टम मे दीमक, उससे मैं लड़ना सीख रहा हूँ
ख्वाइश है छूने की आसमान, अभी मैं उड़ना सीख रहा हूँ..
नहीं हूँ नाजुक भोला पंछी, मैं आग का दरिया तैर रहा हूँ
परो को काटूंगा पाप के,मैं धार बनना सीख रहा हूँ
हाँ मै चलना सीख रहा हूँ
गिर कर संभलना सीख रहा हूँ..
अबीर हूँ पवित्र हूँ ना पाप मै मलीन हूँ, बनकर काल पाप का मैं धर्म बन ना सीख रहा हूँ !!!!!!!
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