Vinay Pandey   (Dr.Vinay)
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Joined 26 August 2021


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18 MAY AT 22:15

गुलाबी होंठ ,उलझे से बाल हैं उसके
वो रहती बेख़बर मगर हाल बेहाल हैं उसके
खुद में उलझी हुई बेहद कमाल लगती है वो
जिससे नज़रें ना हटें ऐसी बेमिसाल लगती ह वो
उसकी नज़रें मानो झील किनारे अलाव सी जलती हैं
और काजल जैसे नील के बहाव सी बहती है
चुलबुली बहुत मगर बेहद ख़ामोश सी है वो
मनचली बहुत मगर बेहद निर्दोष सी है वो
ज़िंदगी के घाव पर मरहम का एहसास है वो
ना जाने कैसे बताऊँ कितनी ख़ास है वो

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31 JAN AT 0:47

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14 JUL 2023 AT 18:47


कहा गयी वो शाम जब
बातें तमाम किया करते थे तुम
वो नज़ारे वो ख़िदमत वो इबादत तो छोड़ो
मोहब्बत भी खुल ए आम किया करते थे तुम
नमाज़ी इश्क़ और कलमी मोहोब्बत के इंतेज़ार में
उम्रें गुज़ार दी हमने एक काफिर की मज़ार में
बदहाल सी ज़िंदगी फँसी है मजधार में
जिस्म को क़ैद कर रूह बेंच आए बाज़ार में
अब कहाँ जाएँ किसको सुनाएँ
ये क़िस्से हर्फ़ ए हराम की
बेबुनियादि इल्ज़ाम की
और बेफ़रियादि इंतेकाम की…

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27 MAR 2023 AT 15:59

तेरे हर एक हर्फ़ को रुआं करेंगे
तू आज की सुध करेगा
वो तेरे कल को बयाँ करेंगे

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24 AUG 2022 AT 19:54

कुछ तो बात है तुझमें
जो तू घुलने लगा है मुझमें
ये तेरे इश्क़ का फ़ितूर ही है
जो तू मिलने लगा है मुझमें

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14 AUG 2022 AT 20:11

इन काली आँखों से तू इश्क़ का दीदार कर
हो सके तो एक दफ़ा तू फिर से प्यार कर…

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30 JUL 2022 AT 17:53

जो आँखें इन आँखों में बस गयी हैं
उन आँखों पे मुझे ऐतबार नहीं
अब कैसे भला तुझसे कह दूँ
मुझे इन आँखों से प्यार नहीं

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28 JUL 2022 AT 16:13

“ये बारिश भी अजीब सी ख़बर ला रही है
किसी का शहर ढ़ा रही है तो
किसी पे क़हर ढ़ा रही है “

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27 JUL 2022 AT 21:31

क्यूँ चाँद को कर रखा है घूँघट की आड़ में
ये फाँसलो के पर्दे अभी कम तो नहीं थे

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25 JUL 2022 AT 7:47

मेरे उल्फ़त ए इश्क़ की वजह
हमने कांटो को इश्क़ और
गुलाबों को बेवफ़ाई करते देखा है

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