मेरे मन के अंध तमस में, हे ज्योतिर्मयी उतरोहे अकारण करुणा वरूणालय मेरे उर के उजड़े वन में हे ममतामयी विचरो -
मेरे मन के अंध तमस में, हे ज्योतिर्मयी उतरोहे अकारण करुणा वरूणालय मेरे उर के उजड़े वन में हे ममतामयी विचरो
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