Vinay Kumar  
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Joined 6 October 2018


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8 JAN 2022 AT 12:50

दो - चार पन्ने , दो चार किस्से ।
तू सोचता है, तू सब जानता है।

तेरी समझ के परे हूं मैं बच्चे,
कीमत मेरी, मेरा रब जानता है।

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29 DEC 2021 AT 17:35

If it ain't flawed,
It ain't beautiful!



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17 JAN 2020 AT 12:22

मेरी अमीरी ,
तेरी ग़रीबी
में फर्क इतना है ऐ दोस्त,
तूने तिजोरी में जवाहरात जमा रखे हैं,
हमनें आंगन में कुछ फूल खिला रखे हैं।

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17 JAN 2020 AT 6:46

हम अपना हर ग़म तुझको बयां नहीं करते,
कुछ छुपा लिया करते हैं,
उसी दिल में,
जहां रहने का तुम दावा करते हो,
बस ये तसल्ली करने के लिए,
के तुम अब भी वहां रहा करते हो।

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17 JAN 2020 AT 5:20

तुझे, 'तू' न कहूं , 'मैं' कहूं , गलत तो नहीं।
तू मुझसा नहीं, पर , मुझसे अलग तो नहीं।।

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7 MAR 2019 AT 22:12

तुमने पूछा था ना !


* अनुशीर्षक *


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7 MAR 2019 AT 13:33

कोई पिंजरा नहीं मैं, जो रोकूं तुझको,
इक डाल हूं बस, साथ हूं तेरे।
साथ तूफ़ां से लड़ने का हौसला कर ले।
आ मुझ में घोंसला कर लें।।

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7 MAR 2019 AT 0:09

जब खो देनेे का डर ख़त्म हो जाए ना,
समझ लेना, दिल्लगी आशिकी बन गई है।

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4 MAR 2019 AT 23:02

पहले हंस लेते थे, अब बस मुस्कुराते हैं।
कुछ उम्र का तकाजा है, कुछ वक्त का ।।


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30 DEC 2018 AT 21:05

तुम्हारी याद ने लिखना सिखाया था,
तुम्हारे साथ ने जीना सिखा दिया !

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