जीवन में केवल दो तरह के लोग खुश होते हैं.एक तो पागल और दूसरा बच्चा लक्ष्य पाने के लिये "पागल" हो जाओ.और आपने जो हासिल किया उसका आनंद लने के लिए एक "बच्चा" बन जाओ.मन को इतना मज़बूत बनाइए कि.किसी के भी व्यवहार से मन की शांति भंग न होने पाए आपके जीवन की खुशी आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती हैं
स्वयं विचार करें-
जिस शरीर के साथ हम पैदा हुए,
उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं है
परंतु जिस चरित्र,व्यक्तित्व और किरदार
के साथ हम विदा होंगे,
उसके लिए
हम खुद जिम्मेदार है।।-
मरने के बाद मेरी गति क्या होगी ?
अपने मन को देखो अभी देखो
अभी जो स्थिति है,
अगर अभी मृत्यु हो जाए तो..
जैसी स्थिति में मन है
वैसी ही गति होगी
स्वयं विचार करें-
निडरता का अर्थ है ईश्वर में विश्वास:
उसकी सुरक्षा,उसके न्याय,उसकी बुद्धि,
उसकी दया,उसके प्रेम और उसकी सर्वव्यापीता में विश्वास आत्म-साक्षात्कार के योग्य होने के लिए,
मनुष्य को निडर होना चाहिए
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हमारी आखिरी उम्मीद
हम खुद है
और जब तक हम है
ये उम्मीद कायम है....-
कुछ नहीं होता तो हमें सब चाहिए होता है सब होता है तो और चाहिए होता है और फिर एक वक़्त
कुछ नहीं चाहिए होता है क्योंकि उनमें से कुछ भी संतुष्ट नहीं कर पाता हमें फिर हम अंधे होकर भागते हैं
लड़ते हैं चीख़ते हैं सत्य की खोज में
फिर ना वक़्त होता है ना साहस
हम जी चुके होते हैं वक़्त सारा
फिर रह जाता है अफ़सोस का पुलिंदा बनावटी पन की आँच पर
निकल जाता है जीवन फिर खोजते हैं
सादगी और सुकूँ पर फिसल जाता है
सारा वक़्त और हम भी-
एक पत्थर लीजिए और उस पत्थर से किसी जानवर कुत्ते या बिल्ली को मारिये,आप देखेंगे कि वह जानवर डर कर भाग जाएगा अब आप वही पत्थर फिर लीजिए और एक मधुमक्खि के छत्ते पर मारिये और देखिये मधुमक्खियां आपका कैसे स्वागत करती है पत्थर वही है मारने वाला भी वही,जानवर भाग गया क्योंकि वह अकेला था और मधुमक्खियां हावी हो गईं क्योंकि वो समूह में थी हमारी सामाजिक ताकत सिर्फ एकता में ही है यदि संभव हो,तो समूह में रहिए सँयुक्त रहिए संगठित रहिए एक दूसरे के हित मे सहभागी बनिये
स्वयं विचार करें
जय श्री कृष्ण
जय हो मैया की-
अपनी जिंदगी बर्बाद करने के लिए हमें
दुश्मनों की जरूरत नहीं है हमारा गलत
दृष्टिकोण भी हमारी जिंदगी तबाह कर
सकता है-
हे जीवन की आधार जगतजननी परमेश्वरी शुद्ध-बुद्ध मुक्त स्वभाव, हे आनन्दमयी स्वरूपा मैया, हमारे अंतर में हमारे बाहर में जो कुछ है सब आप जानती ही हमारे हृदय में क्या है, हमारे मन में क्या है,हमारे विचारों में क्या है,हमारे कर्म में क्या है,सब आपको पता है हे जगदम्बे कितने अच्छे,कितने बुरे,कितने खोटे,कितने खरे जो भी हम हैं आप सब जानती हो हे मेरी मैया जैसे भी हैं,हम आपके और आपकी शरण में हैं हे जगदम्बा अब हम मुक्त हो सकें कष्टों से दुःखों के पार जा सके हमें अपनी भक्ति ध्यान,ज्ञान से कर्म करने की शक्ति प्रदान करो जगतजननी ऐसी युक्ति दो कि मुक्ति हो ऐसी युक्ति दो की दुःखों से छुटकारा हो ऐसी युक्ति और बुद्धि-सुबुद्धि प्रदान करो हे मेरी मैया कि हम वह कर सकें,जो आपको पसंद आये उस तरफ चलें जो मार्ग आपकी तरफ लेकर चले
जीवन में आनंद रहे, प्रेम रहे सुख-शांति रहे,सबकी उलझने दूर हो सब आपका प्रेम पा सके जो भी आपके द्वार पर आकर बैठें,आस लगाये हुए हैं, सबका कल्याण करो मेरी मैया वह प्रेम अगाध श्रद्धा भक्ति दो,जो मां आपके द्वार तक जा सके यही विनती है इसे स्वीकार करना मेरी जगतजननी मां
जय हो मैया की-
एक व्यक्ति के रूप में जीना इतना महत्वपूर्ण नहीं है
जितना एक व्यक्तित्व बनकर जीना होता है,
क्योंकि व्यक्ति मृतक हो जाता है
लेकिन व्यक्तित्व हमेशा जीवित रहता है-