Vin Met   (Naked Tree©®)
1.1k Followers · 312 Following

मंज़िल का नाराज़ होना भी जायज़ था यूँ ..
कंबख्त हम ही अजनबी रास्तों से दिल लगा बैठे!!
Joined 31 December 2016


मंज़िल का नाराज़ होना भी जायज़ था यूँ ..
कंबख्त हम ही अजनबी रास्तों से दिल लगा बैठे!!
Joined 31 December 2016
4 NOV 2022 AT 22:50

उधार ही सही
कुछ बाकी तो रहा,
हाँ सांसे कमबख्त
उलझाए रखती हूं ,
मुद्दत से खड़ी बेजार हूं
तेरी उम्मीद में
पलकें बिछाये रखती हूँ !!

-


4 NOV 2022 AT 22:34

धागों संग टंगे हम
फुर्सत के पल तलाशते है
कुछ सांसे ज़िंदगी से
कुछ तुम्हारे लिए
कुछ अपने लिए
उधार मांगते हैं,
गर रुसवा हुए ख्वाब
ऐ रात
तुझसे हम न कभी
इन पलकों में
नींद मांगते हैं!!

-


1 OCT 2022 AT 23:31

उलझनों में उलझा
रहने देना
ना सुलझाना
मेरे मौला
गर सुलझा दिये धागे
बिखर जाऊँगा,
तुझसे छूट जाऊँगा!!!

-


16 SEP 2022 AT 17:27

Jo bik gye woh ehsaas kahan
Umr tamaam n jaati gr samjh lete ..

-


11 SEP 2022 AT 11:08

टूटे मोतियों के ज़ख्म दिखाऊ किसको
माना था जिसको बड़ी शिद्दत से साहिब
रुख़सत हुआ, अब बुला लाऊं किसको!!

-


8 SEP 2022 AT 7:01

ख़ामोशियों की भी
तासीर होती है!
बाहर तन्हाई
भीतर शोर रखती है!!

-


19 AUG 2022 AT 17:42

हाँ व्यथित हूं
बेशक
बुनियाद में दरारे
दिखती है
और उन्मे पनपते
डोर जो
बुन रहे है
अंधकारमय जाले
बड़ी मजबूती से
खोखले धागों से
और बड़ रहे है
चहुँ और
बंद कर रहे है
सभी छेद
कि उजाले की किरणे
विच्छेदित न कर सके
और धरातल
सरक जाये
पूर्ण अँधकार के गर्भ में!!— % &— % &

-


28 MAR 2020 AT 9:41

संगीत के कोई नोट्स नही होते
संगीत शून्य और आत्मा के मध्य बंधा एक बांध है

-


31 DEC 2021 AT 20:42

और हवा के झोंकों से बदबख्त
सारी तीखी यादों की सुइयाँ
ठीक जिगर को चीरती
हर्फ़ दर हर्फ़ चुभती चली गयी..

-


31 DEC 2021 AT 19:16

युं ही
बस बेवजह
जिरह करता हूं
उस से,
कमबख्त
रूह का हिस्सा है,
अब
किसी धार से नहीं कटता !

-


Fetching Vin Met Quotes