Vimmy  
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Joined 12 June 2019


Joined 12 June 2019
19 APR 2024 AT 1:17

"तुझे रकीब संग देख,
जीना मुहाल हो जाता है,
वो आखिरी नज़र का दर्द,
उम्र भर का रंज बन जाता है!!"

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18 APR 2024 AT 15:51

"बेहद, बेवजह, बेसबब, बेशुमार,
बेवफ़ाई इन्तज़ार और बहाना रहा,
मेंरे इश़्क-ए-इबादत का बस यही,
मुकम्मल ख़ूबसूरत अफसाना रहा!!"
_Vimmy

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17 APR 2024 AT 9:27

"जख़्म तुमसे पायाब पा रहे हैं,
न था अंदाज़ा....
ताज़ा हर ग़म नायाब पा रहे है,
इबादत-ए-इश्क की जो रस्में हैं,
आज भी शिद्दत से निभा रहे हैं,
तुम्हारी ही चाहत थी.....
आज भी सिर्फ तुम्हें ही चाह रहे हैं!!"
_Vimmy

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16 APR 2024 AT 21:08

"हज़ारों ख़्वाहिशें थीं उसकी,
था हमसे दूर जाना,
बांहों में था रकीब,
था उससे दिल लगाना,
उम्मीद है "दीद" हो तेरी,
बहुत तङपती हैं यादें,
बेहद पाकीज़ा है मोहब्बत मेंरी,
हो सके तो न करना जग हंसायी,
कयामत से पहले लौट आना!!"
_Vimmy

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12 APR 2024 AT 0:02

"पूर्णतः सम्पूर्ण होगी,
उस दिन नवरात्रि,
जिस दिन पूर्णरूप से....
घर सुरक्षित वापस लौटेगी,
हर औरत, हर लङकी,
हर दिन, हर पहर, हर रात्रि!!"
_Vimmy

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2 APR 2024 AT 9:05

"सब ख़्वाहिशें अब छोड़ दीं मैंनें,
मौन दुआयें थीं ख़ुदा से मांगी,
मुकद्दर तक,वो जला गया....
मेंरा मुझमें अब कुछ रहा न बाकी!!"
_Vimmy



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31 MAR 2024 AT 19:49

"शिद्दत से चाहते रहे जिन्हें उम्र भर,
आये गुजारा भर दर्द दिया,
और फिर चलते बनें,
मन्नतों के धागों को बेअसर कर,
जज़्बातों के इम्तिहान ले,
रिश्तों से कंगाल किया,
और फिर चलते बनें!!"

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30 MAR 2024 AT 20:08

"क्यों हुआ ख़ुदगर्ज ये जमाना?
क्यों आज परिवार बिखरा है?
क्यों बना घर, छोड़कर अपना,
ये मर्द! छोड हबीब,संग रकीब,
बाहर घर बसानें निकला है??"
_Vimmy

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29 MAR 2024 AT 10:31

"न जानें कितना!
ख़ुशनसीब रहा होगा वो तीसरा शख्स,
हबीब को दिखा होगा किसका अक्स,
हुआ रकीब का, हमारा मनपसंद शख्स,
मुफ़्त में पा लिया, इस दिल का वो अंश!!"

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25 MAR 2024 AT 21:55

"तेरे मेंरे दरम्यां अब फासले ही काफी हैं,
पक्की है अब इस दर्द-ए-दिल की दीवार,
पलटकर हाल-ए-दिल न पूछ!
जख़्मों को हवा न दे......
तेरे गुनाहों की सितमग़र अब नहीं माफी है!!"

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