VÎLLÅÏÑ ✍️✍️   (Roshan sah ✍️✍️)
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Joined 26 July 2020


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Joined 26 July 2020
14 JUN AT 12:47

दरिया में उलझा हूँ,
फ़िर भी प्यासा बैठा हूँ...
मुलाकात ही तो हैं,
एक मुलाकात ही तो हैं...
किसी और के बाहों में उसे देख,
अपने नशेमन को आंसुओं में पिरोया हूँ।।।।

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13 JUN AT 13:21

चांद को देखना छोड़ दिया
गम के मयखाने में जाना छोड़ दिया
वक्त के साजिशों में आसुओं ने दम तोड दिया
काश ये सिलसिला यूहीं थम जाता
पर ,
ये वक्त ही तो था जो हर पल मेरे साथ लुटा था ।।।

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मै अब वो नहीं जो तू बुलाए और
मै चला आऊंगा सब छोड़ कर...
तू किसी और के दरवाजे पर खड़ी रहना
मै उस घर में भी किरायदार ही रहूंगा ।।।

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अब इश्क में झूठ ना बोलूं तो सच क्या है??
तुझसे मोहब्बत हैं ये सच है..
मैं तेरा जेसा हो जाऊं..
ये झूठ एक हजार दफा बोल दूं ।।।

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हकीकत कहूं या ख़्वाब कहूं उसे,
जो भी कहूं खूबसूरत ही लगी है मुझे..
दिल मेरा ही रहे,
पर धड़कन उसकी हो..
मै खुद सबके सामने रहूं,
पर सांसें उसके जुल्फों में ही कैद रहे...

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28 MAY AT 23:10

जिंदगी की रास्ते कुछ ऐसे राहों से गुजरे हैं
कहीं धूप में छांव की मंज़िल दिखी
तो कहीं
छांव में बिखरे हुए पत्ते ।।।

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28 MAY AT 15:04

हकीकत कहूं या ख़्वाब कहूं उसे??
जो भी कहूं खूबसूरत ही लगी है मुझे...
दिल मेरा ही रहे,
पर धड़कन उसकी हो ..
मै खुद सबके सामने रहूं !!
पर सांसें तो उसके जुल्फों में ही कैद हो....

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27 MAY AT 18:20

मोहब्बत से क्या ही कोई रुसवा करे?
जुदाई का लम्हा ठहर जाता हैं!
और वक्त की बंदिशें की लकीर ऐसी खींच जाती हैं
जैसे भागता हुआ ये ज़िंदगी,
और ठहरा हुआ मौत..........

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26 MAY AT 14:10

ख्वाब टूटे हक़ीक़त भी निकले झूठे है,
इश्क़ के बजार में सब दो वक्त की नींद खरीदे है...
मै खड़ा दूर महफूज़ की डोर से बंधा था,
एक नज़र उनसे मिली
कमबख्त बाजार में नींद का सौदा कर चला आया....

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22 MAY AT 19:07

जीने की तमन्ना भी हैं
मरने का वक़्त अभी देखा नहीं हैं..
सुकून होने का भी हैं
दुख मौत के पल में भी जिंदा रहने का भी हैं..
ये कश्मकश कैसी हैं??
अपनो को खुली आँखों में समझ ना सका,
दुनिया की रीत बंद आँखों में रख ना सका.. ....

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