Vikram Singh   (Vikram singh)
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मुसाफिर हूं मैं यारों
न घर है न ठिकाना
मुझे बस चलते जाना है।
Joined 8 November 2021


मुसाफिर हूं मैं यारों
न घर है न ठिकाना
मुझे बस चलते जाना है।
Joined 8 November 2021
31 DEC 2022 AT 21:17

Be hide your newyear resolution
,.. ✍️

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31 OCT 2022 AT 22:59

न जाने कहां जा रही है जिंदगी
ना ही निखर रही है और
ना ही बिखर रही है।।

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30 OCT 2022 AT 8:04

तेरी आंखों में डूबना मुझे अच्छा लगता है।
तेरी सांसों में झूमना मुझे अच्छा लगता है।
पास रहती हो,तो स्वर्ग लगती है जिंदगी,
दूर जाती हो तो शमशान लगता है।।..✍️✍️

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28 OCT 2022 AT 22:52

जहर तो घोलेगी
पीते रहो, जीते रहो।।..✍️✍️

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28 OCT 2022 AT 20:58

कैसे बताएं,की तुझको चाहें
यारा बता ना पाएं
तू जाने ना..💘💓

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27 OCT 2022 AT 16:11

मेरी सांसे,ये दिल..
ये मंजर क्या?
हम पूरे के पूरे आपके है।

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27 OCT 2022 AT 11:12

आज गुजरे हम उनकी गलियों से
उनके रूह तक की खुशबू नसीब न हुई हमें

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26 OCT 2022 AT 10:08

उनकी दिल के बॉर्डर पर दे ना सके हम दस्तक
राज कर रहा था वहां पहले से कोई..✍️✍️

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25 OCT 2022 AT 13:47

कोरे कागज सी है मेरी जिंदगी।
ना मैं कोई नशा करता हूं,और
ना ही किसी का नशा है मुझे।।

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24 OCT 2022 AT 2:30

ये रियायतें,ये समंदर,ये कस्तियां
छोटे लगते होंगे,इश्क में जनाब।
इनमें उतरियेगा , सोंच समझकर।।
...✍️✍️

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