हर अंधेरे में
तलाश होती है रोशनी की ...
हार कर हवाओं से
जब दिया बुझता है कोई,
तब तलाश होती है चिंगारी की...
सुलगकर चिंगारी से
अंधेरे को चीरता
वो छोटा-सा प्रकाश पुंज
निराशा में आशा जगाता है।
दिये कि आवश्यकता पर
ये प्रकाशवान युग
क्यों प्रश्न उठाता है.....
उसे क्यों अब न वो
मन्द प्रकाश भाता है.....
होंगे कई दिनकर, मगर
रात में तो
साथ दिया निभाता है.....-
वो दूर - दूर से अक्सर तुझे देखना,
नज़रे मिल जाने पर आंखे चुराना।
वो पहली मुलाकात, झुकी नज़र और वो शर्मिली मुस्कान।
वो खिल-खिलाकर हँसाना तेरा,
वो गप-शपें तमाम।
वो चाय की प्याली,
वो बातें, वो यादें!
वो छलकती आंखे ले जाया
करती थी
दिल की गहरायों में।
वाह! तेरी अदाएं
जो कर देती मेरे मन को बेकाबू।
और हाँ!
वो भीगी ज़ुल्फ़ों की "ख़ुशबू"💐-
ढलती शाम भले तुम मत लिखना,
पर उगते सूरज की पहली किरण तुमसे कुछ लिखवा ही लेगी.....💐-
मीठी बाते और गुफ़्तगू होगी
नयनों की टिमटिमाहट भी।
शर्मीली मुस्कान लिए आना
इक चाय के बहाने।
सुनहरी यादों को
प्याली में भर कर बैठेंगे।
ले चुस्कियां होठों से
एक दूजे की आखों में हम देखेंगे।
खिल उठेंगे चेहरे कुछ पल
और मौसम में रवानी छाएगी।
अठखेलियाँ और शरारतों की बाते
जब लबों पर आएगी।
चाय की रंग-ओ-ख़ुशबू
जीवन में उतर जाएगी...
तुम आना किसी रोज़ मिलने
इक चाय के बहाने...-
हर साँस शिकायत करती है,
तेरा सजदा,तेरी इबादत करती है।
जीना तेरे बिना मुमकिन नही है,
मेरी रूह तुझसे मोहबत करती है।
कुछ तो हलचल तेरे सीने में भी होगी,
कोई तो तस्वीर हिफ़ाजत से होगी।
कोई तो हसीन सपना होगा तेरी आँखों में,
किसी से तो शिकायत होगी तेरी सासों में।
-
जिसकी परिभाषा का मेरी कलम मात्र प्रयास कर सकती है।
पूर्ण सामर्थ्यवान नही.....-
दिल की गहराइयों में गर
दफ्न कर भी दूं, तेरी यादें.....
तू फिर भी
खिल उठेगी गुल बन के.....
और हां!
तेरी "ख़ुशबू" हर "खुशबू" को भुला देगी जरूर.....-
कहती है कि
जब भूल ही गये
तो क्या लेने आये हो......
मैंने भी कह दिया -
एक गुलाब🌹उधार हैं आप पर...-