Vikram Rajawat   (अल्फ़ाज़-ए-क़ल्ब✍✍)
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Joined 1 April 2018


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25 APR AT 21:58

अनवरत किसी की याद में मरने से।

© विक्रम सिंह राजावत

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25 APR AT 20:50

She said
"Ruko mai do minute me call karti hu"
🤣🤣🤣

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15 APR AT 22:57

करना
संत महात्मा होने जैसा है।

© विक्रम सिंह राजावत

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15 APR AT 22:53

बात नीयत की भी होती है,
गर किसी की नियत सही हो
तो साथ बदकिस्मती में भी होता है।

© विक्रम सिंह राजावत

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13 APR AT 22:01

चलो कुछ काम कर लेते हैं,
जहन में बसी कुछ यादों को
आज साफ़ कर लेते हैं,
कर लेते हैं हम भी दो-दो हाथ
अतीत के उस पिशाच से
आओ कुछ यादों को आज
पन्ने पर लिख लेते हैं।

© विक्रम सिंह राजावत

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13 APR AT 21:43

कोई और फ़िक्र करे मेरी अब परवाह नहीं मुझे
हालातों ने सिखा दिया है अब संभालना खुदको।

© विक्रम सिंह राजावत

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11 APR AT 22:45

उतर गया जो शख्श एक दफ़ा इस नज़र से,
फिर ताउम्र रहे करीब पर मेरा हो पाना मुश्किल है।

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10 APR AT 21:33

गर झुक कर चढ़ेंगे,
तो सहज होगा
चोटी तक पहुंचना।

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4 APR AT 20:42

मयकदे से गुजरते लड़खड़ाना
दस्तूर हो गया,
हम पीते नही साकी बस ये
क़सूर हो गया,
हम नशे मे हैं यकीनन
पर शराबी नही,
बस नक़ाब से झाँकती आँखों का
फ़तूर हो गया।

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3 APR AT 21:52

देखता हूँ, उन पुरानी तंग यादों को
जो सताती हैं कभी-कभी,
करती हैं बेचैन,
तड़पाती हैं मुझे और कोसने लगता हूँ
मैं उस वक़्त को, उस वक़्त के अहसासों को
और शायद कभी-कभी खुदको।
फिर एकाएक एक सुकूं का, सुखद अहसास कराने
वाला हवा का झौंका आकर,
कहीं धूमिल कर देता है, उन यादों को।

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