राधा–श्याम एक है बस बीच गात भीत है!तुझे निहार स्तब्ध मैं तू मात है की मीत है! -
राधा–श्याम एक है बस बीच गात भीत है!तुझे निहार स्तब्ध मैं तू मात है की मीत है!
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कितना कुछ सुना जाते हैं हमें बिना बात केहम अपने हालात देखकर कहां कुछ कहते हैं।करने दो इन्हें अपने घमंड की खातिरदारीबर्दाश्त के बाहर हो हम उस हद तक सहते हैं।ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे दुनिया की भीड़ में हम वफादार लोग हैं साहब अकेले रहते हैं। -
कितना कुछ सुना जाते हैं हमें बिना बात केहम अपने हालात देखकर कहां कुछ कहते हैं।करने दो इन्हें अपने घमंड की खातिरदारीबर्दाश्त के बाहर हो हम उस हद तक सहते हैं।ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे दुनिया की भीड़ में हम वफादार लोग हैं साहब अकेले रहते हैं।
बुराई माणस नै चाल्दै चाल्दै मिलजे हैतम आछी बात मैं रळो मेरे भाई।आखरी चक्यां तै नाश हो जाया करैबदी तै सौ कोस टळो मेरे भाई।बता दिया आग्गै कुआं है देख कै चलिएफेर भी पड़ना है तो पड़ो मेरे भाई।माड़ा किसे का सोच्या ना करयाफेर भी जे जळो हो तो जळो मेरे भाई। -
बुराई माणस नै चाल्दै चाल्दै मिलजे हैतम आछी बात मैं रळो मेरे भाई।आखरी चक्यां तै नाश हो जाया करैबदी तै सौ कोस टळो मेरे भाई।बता दिया आग्गै कुआं है देख कै चलिएफेर भी पड़ना है तो पड़ो मेरे भाई।माड़ा किसे का सोच्या ना करयाफेर भी जे जळो हो तो जळो मेरे भाई।
किसे धौरे फालतू टेम कोनी मेरी तरियां बिना मतलब कै इब किसनै सताऊं?दो च्यार जणे जाण्या करदे, वें जा लिए“मैं इसा कोनी यार” इब किसनै बताऊं?इब यें बोल भी गडण लाग्गे लोगां कै बोलूं भी नी, लिखूं भी नी तो कड़े जाऊं? -
किसे धौरे फालतू टेम कोनी मेरी तरियां बिना मतलब कै इब किसनै सताऊं?दो च्यार जणे जाण्या करदे, वें जा लिए“मैं इसा कोनी यार” इब किसनै बताऊं?इब यें बोल भी गडण लाग्गे लोगां कै बोलूं भी नी, लिखूं भी नी तो कड़े जाऊं?
अच्छे से निभाओ अपने किरदार को यारों,तुम मेरी जिंदगी की किताब में लिखे जाओगे। -
अच्छे से निभाओ अपने किरदार को यारों,तुम मेरी जिंदगी की किताब में लिखे जाओगे।
जो मने अपना मान्ने हैं उनकादिल तै साथ निभाया, अर आगे भी निभाऊंगा।भरोसा करणा ए है तो मेरी बातां पै करल्यो हनुमान थोड़ी हूं जो छाती पाड़ कै दिखाऊंगा।मानूं हूं, ईबे धेल्ला भी कोनी पल्ले, पर कोई दुख हो तो बताईयो, गल्ले खड़या पाऊंगा।अपनी आदत कोनी किसे नै गुमराह करण कीजितना ज्यांका बेरा होगा उतना ऐ बताऊंगा।मनै बेरा है जिस ‘गरा’ मैं कल्ला छोड़्या हूं ‘लोगाँ नै’डह पड़के सही चालणा तो मैं भी सीख जाऊंगा।जे तम मनै बाल बराबर नहीं मानते तो सुणो थारा भी दुनिया पै वजूद है, मैं भूल जाऊंगा। -
जो मने अपना मान्ने हैं उनकादिल तै साथ निभाया, अर आगे भी निभाऊंगा।भरोसा करणा ए है तो मेरी बातां पै करल्यो हनुमान थोड़ी हूं जो छाती पाड़ कै दिखाऊंगा।मानूं हूं, ईबे धेल्ला भी कोनी पल्ले, पर कोई दुख हो तो बताईयो, गल्ले खड़या पाऊंगा।अपनी आदत कोनी किसे नै गुमराह करण कीजितना ज्यांका बेरा होगा उतना ऐ बताऊंगा।मनै बेरा है जिस ‘गरा’ मैं कल्ला छोड़्या हूं ‘लोगाँ नै’डह पड़के सही चालणा तो मैं भी सीख जाऊंगा।जे तम मनै बाल बराबर नहीं मानते तो सुणो थारा भी दुनिया पै वजूद है, मैं भूल जाऊंगा।
जब माफ करने से शांति मिलती हैतो घृणा के नरक में क्यों जीया जाए!जब शांति सा शीतल कुछ भी नहींतो क्रोध का जहर क्यों पीया जाए!समाधान हो सकता है ‘छोड़ो’ कहने सेहर बात को दिल पर क्यों लिया जाए! -
जब माफ करने से शांति मिलती हैतो घृणा के नरक में क्यों जीया जाए!जब शांति सा शीतल कुछ भी नहींतो क्रोध का जहर क्यों पीया जाए!समाधान हो सकता है ‘छोड़ो’ कहने सेहर बात को दिल पर क्यों लिया जाए!
हम खुद दिल के साफ हों तोदिल काला किसी का कहां दिखता है!सत्य की तलवार हो हाथ में तोबेहया झूठ किसी का कहां टिकता है!चोट लगने पर याद आती है सबकोबेवजह मरहम किसी का कहां बिकता है!दुखों को गिनाते फिरते हैं हर गली मेंहिसाब खुशियों का कोई कहां लिखता है! -
हम खुद दिल के साफ हों तोदिल काला किसी का कहां दिखता है!सत्य की तलवार हो हाथ में तोबेहया झूठ किसी का कहां टिकता है!चोट लगने पर याद आती है सबकोबेवजह मरहम किसी का कहां बिकता है!दुखों को गिनाते फिरते हैं हर गली मेंहिसाब खुशियों का कोई कहां लिखता है!
शर्म से कट गिरे तुम पर उठी उंगलीस्वयं ही, खुद को इतना निष्पाप रखिए।ख़ुद–ब–ख़ुद फना होंगे दुश्मन तुम्हारेअपनी तरफ़ से सबको सदा माफ़ रखिए।खुशी तुम्हारे अन्तर से पैदा होगीअन्तर को चेहरे से ज्यादा साफ़ रखिए। -
शर्म से कट गिरे तुम पर उठी उंगलीस्वयं ही, खुद को इतना निष्पाप रखिए।ख़ुद–ब–ख़ुद फना होंगे दुश्मन तुम्हारेअपनी तरफ़ से सबको सदा माफ़ रखिए।खुशी तुम्हारे अन्तर से पैदा होगीअन्तर को चेहरे से ज्यादा साफ़ रखिए।
कच्चे धागों से बना था आशियाना मेरामुसाफ़िरों की आवाजाही में टूटता ही गया।बुरा किसी का क़भी नहीं चाहा मैंनेजिसको आईना दिखाया वो रूठता ही गया।असल में, करीबी कोई था ही नहीं मेराजिसको जिगरी माना वो मुझे लूटता ही गया।शायद! कुछ बड़ी खामियां हैं मेरे लहज़े मेंजिसको मैने 'ख़ुदको' सुनाया वो छूटता ही गया। -
कच्चे धागों से बना था आशियाना मेरामुसाफ़िरों की आवाजाही में टूटता ही गया।बुरा किसी का क़भी नहीं चाहा मैंनेजिसको आईना दिखाया वो रूठता ही गया।असल में, करीबी कोई था ही नहीं मेराजिसको जिगरी माना वो मुझे लूटता ही गया।शायद! कुछ बड़ी खामियां हैं मेरे लहज़े मेंजिसको मैने 'ख़ुदको' सुनाया वो छूटता ही गया।