उस दिन अगर मैं जीत जाता,
तो कैसे मैं ये सब सीख पाता।
मेरे भी सपने बड़े थे,
पर राह में अपने खड़े थे।
धोखा तो अपने ही देते हैं,
गैर तो सिर्फ मजे लेते हैं।
खून के रिश्ते सबसे सच्चे हैं,
ये शब्द सिर्फ कहने के लिए अच्छे हैं।
अजनबी होके भी लोग मोहब्बत में एक हो जाते हैं,
कुछ दोस्त होते हैं जो जिंदगी भर साथ निभाते हैं।
क्यों हम अपनों को पहचानने में भूल कर जाते हैं,
उम्र भर क्यों हम साँपों को दूध पिलाते हैं।
लोगों की नजरों में मैं हार जरूर गया था,
पर मेरा हारना बेकार नहीं गया था।
ये हार मुझे बहुत कुछ सिखा गयी थी,
हारी हुई बाजी मुझको जिता गयी थी।
यूँ कहने से कोई अपना नहीं हो जाता,
खून के रिश्ते भर से अपना नहीं कहलाता।
मौका मिलते ही यहाँ सब बाजी मार जाते हैं,
अपने वही हैं जो अपनों के लिए हार जाते हैं ।
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