Vikram   (Viki)
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Joined 27 April 2020


Joined 27 April 2020
1 NOV 2020 AT 23:56

"तुम्हें आना होगा
तुम्हें आना ही होगा "
ऐसा कहने वाले और लिखने वाले .....तुम अभी इश्क की परिभाषा से कोसों दूर हो !!!
खैर....

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30 SEP 2020 AT 16:56

इन मानवता के हत्यारों को एक सबक तुम सिखला दो
फांसी से इंसाफ नहीं है इनको भी दरिंदगी दिखला दो
कर टुकड़े हजार हैवानों के कहीं नाले में फिंकवा दो
या आँखें निकाल के इनकी चौराहे पे जिन्दा जलवा दो।

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6 AUG 2020 AT 21:55

इश्क़ के समंदर में आजाद छोड़ी है मैंने कश्ती
कहीं न कहीं तो कोई सहारा आयेगा
या डूब जायेगी कहीं किसी चट्टान से टकराके
या कहीं तो उस पार किनारा आयेगा
अभी वक्त जरा अच्छा नही है तो जारी है संघर्ष
जब रब चाहेगा तो दौर हमारा आयेगा ।

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23 JUL 2020 AT 21:19

कुछ बातें अभी अधूरी हैं
क्या कहना उन्हें जरूरी है ,
है इश्क़ का तो पता नहीं
चाहत लेकिन मेरी पूरी है।

गर इश्क़ में तुम तड़पे ना
तो कैसा इश्क़ तुम्हारा है,
इस जीवन को जीने का
अब यही तो एक सहारा है।

तुम बिन रहा न जाता है
खलती हमको यह दूरी है,
इसलिए अधूरे ख्वाबो को
कहना भी बहुत जरुरी है।

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9 JUL 2020 AT 16:12

जमीं के कुछ टुकड़े रेत बनके हवा से इश्क़ करते हैं ,
जमीं छोड़के हवा के साथ उड़ने की कोशिश करते हैं।
दोष हवा का नहीं है जो इतना ऊँचा बहती है ,
वो भी आखिर आसमान को अपना कहती है ।
हवा जब जब भी बहेगी, ये टुकड़े ऐसा ही करेंगे
बार बार नीचे गिरेंगे ,पर हमेशा साथ ही उड़ेंगे।
टुकड़ों को उम्मीद है, कभी तो हवा उनके साथ बहेगी,
आसमाँ ने अगर न पहचाना तो जमीं को अपना कहेगी।

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3 JUL 2020 AT 23:30


जोर जोर से बोलके वक्त ज़ाया नहीं करते,
आँसू तो हैं आँखों में ,पर दिखाया नहीं करते ,
थोड़ा अलग है हमारे इश्क़ करने का सलीका
मोहब्बत करते तो हैं,पर जताया नहीं करते ।

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28 JUN 2020 AT 15:16

चाँद को मोहब्बत का प्रतीक मानने वालो, सुनो याद रखना कि उस चाँद की रोशनी के लिए कोई सूरज बेवजह रोज जलता है।

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13 MAY 2020 AT 9:26

एक तकिया ही तो है जो मेरा दुख दर्द समझता है,
कमबख़्त अभी तक आँसुओं के दाग समेट कर बैठा है

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12 MAY 2020 AT 9:45

मेरे दिल में केवल दो तरह की चीजें हैं
कुछ सपने हैं, बाकी अपने हैं
अकेले तुम ही हो जो दोनों तरह के हो।

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9 MAY 2020 AT 9:32

उस दिन अगर मैं जीत जाता,
तो कैसे मैं ये सब सीख पाता।
मेरे भी सपने बड़े थे,
पर राह में अपने खड़े थे।

धोखा तो अपने ही देते हैं,
गैर तो सिर्फ मजे लेते हैं।
खून के रिश्ते सबसे सच्चे हैं,
ये शब्द सिर्फ कहने के लिए अच्छे हैं।

अजनबी होके भी लोग मोहब्बत में एक हो जाते हैं,
कुछ दोस्त होते हैं जो जिंदगी भर साथ निभाते हैं।
क्यों हम अपनों को पहचानने में भूल कर जाते हैं,
उम्र भर क्यों हम साँपों को दूध पिलाते हैं।

लोगों की नजरों में मैं हार जरूर गया था,
पर मेरा हारना बेकार नहीं गया था।
ये हार मुझे बहुत कुछ सिखा गयी थी,
हारी हुई बाजी मुझको जिता गयी थी।

यूँ कहने से कोई अपना नहीं हो जाता,
खून के रिश्ते भर से अपना नहीं कहलाता।
मौका मिलते ही यहाँ सब बाजी मार जाते हैं,
अपने वही हैं जो अपनों के लिए हार जाते हैं ।

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