कुछ लोगों को पहचानने में गलती हुई लेकिन...
ये ही वो लोग थे, जिन्होंने ज़िन्दगी का मतलब भी समझाया...
!! शुक्रिया !!— % &-
तुमसे कुछ गलत हो गया,
इसमें कुछ भी गलत नहीं।
लेकिन गलती से कुछ ना सीखा,
ये तो बहुत-बहुत गलत है।-
खुशनसीब हैं आप, अपने ग़मों का सोग मना पा रहे हैं,
हमने मुस्कुराने की कसम खाई है, चैन से रो भी नही सकते ।-
सुनो, ये शरीफों का शहर है, यहां ऐसी बद्तमीजीयां न करो,
अच्छे को अच्छा तो बताओ, मगर बुरे को बुरा न कहो,
जो किसी ने मीठा बोल दिया, तो हमारी तहज़ीब बता दो,
मगर कोई बदसलूकी कर पड़े, तो फिर उसे कड़वा न कहो,
तो क्या हुआ जो दिन निकल रहा है, सरकारी फ़रमान है के रात है अभी,
ये उजाले नहीं, वहम है तुम्हारा, इस रात को सुबह न कहो,
किसी का ताल्लुक़ है किसी और से, तो होने दो हर्ज क्या है,
भरोसा तुम्हारा भूल तुम्हारी, उस मासूम को बेवफा न कहो,
सुनो, ये शरीफों का शहर है..
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कोई कहता है अगर, तो कह लेने दो बुरा मुझे,
हर किसी की नज़र में अच्छा मुझे बनना भी नहीं ।-
बहुत छोटा सा अन्तर है इन बातों में,
किसी ने कहा, मैं 'इन कपड़ों' में कितना अच्छा लग रहा हूं,
मैं कहता हूं, ये कपड़े 'मुझपे' कितना खिल रहे हैं।
ATTITUDE बस सोच की बात नहीं,
सब शब्दों का खेल है !!
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पहचान मुझे दुनिया में, कुछ 'नमक' सी मिले,
चुटकी भर की भी कमी, हर किसी को खले ||-
तेरी खातिर मैं
हर किसी से लड़ बैठा,
बस इसलिए,
कि तुझपे ऐतबार था ।-
मील के पत्थर रह जाते हैं ज़हन में,
रास्ता पीछे छूट जाने के बाद,
सर पे कोई आसमान टूट पड़ता है,
पुरानी छत टूट जाने के बाद।-
कोई चेहरे से बहुत मुस्करा दे, तो क्या होता है,
ज़माने को उसकी खुशी का, बस गुमां होता है,
हर किसी को दिखती है महज़ रोशनी उसकी,
दिये के अंधेरों का भी, कहीं कोई चर्चा होता है।-