Vikky The writer   (Vikky)
33 Followers · 8 Following

read more
Joined 23 April 2020


read more
Joined 23 April 2020
30 JUN AT 10:24

सवाल ये नहीं था कि जवाब क्या मिलेगा,
सवाल बस इतना था… कि कौन साथ चलेगा।

-


29 JUN AT 0:21

वो हर सुबह की किरण में झलकता है,
हर रात की तन्हाई में धड़कता है।
मैं सोचता था मिट जाएगा वक़्त के साथ,
पर वक़्त ने ही बताया —
वो अब और भी है...

-


22 JUN AT 12:36

कोई तब आए
जब तुम्हे सच में उसकी जरूरत हो
उसे कहते हैं क़िस्मत।

-


18 JUN AT 21:49

तुमसे कोई शिकायत नहीं है…
मगर तेरे बिना जो बातें खुद से करता हूँ,
वो कभी कभी चीख़ बनकर दीवारों से टकराती हैं —
और लौटती नहीं...

-


15 JUN AT 20:37

हर रोज़ मैं मुस्कुरा देता हूँ,
मगर आँखें नम रहती हैं,
हर बात पे चुप सा रहता हूँ,
लेकिन साँसें थम-सी रहती हैं।
मैं टूटा नहीं, बस थक गया हूँ…
क्या फ़र्क पड़ता है।

-


13 JUN AT 23:20

हाँ, मैं पागल हूँ...
पर खुश हूँ इस पागलपन में,
क्योंकि इसमें तू है —
तेरी यादें हैं, तेरी बातें हैं... और बस, तू है।

-


13 JUN AT 23:14

तुमसे नाराज़ होना
ऐसा है जैसे...
अपनी ही धड़कनों से नफरत करना।

-


13 JUN AT 22:59

तुमसे नाराज़गी...! और मैं?
सच कहूं तो कभी हिम्मत ही नहीं हुई...

-


9 JUN AT 21:38

"सवाल था ही कहां…"
ये ज़िंदगी तो बस रोज़ आईना दिखाती रही,
और हम —
हर जवाब में अपना ही चेहरा पहचानते रहे,
बदलते हुए, टूटते हुए,
पर फिर भी कुछ कहने की हिम्मत लिए।

-


6 JUN AT 15:19

बस यूं ही
हर रोज़ तुमसे मिलना चाहता हूं...
ना कोई वजह चाहिए, ना कोई बहाना,
बस यूं ही —
तुम्हारी आँखों में कुछ पल ठहर जाना चाहता हूं।

बस यूं ही
जब भी दिन ढलता है, दिल मचलता है,
कभी बातों में, कभी ख़ामोशियों में,
कभी भीड़ में, तो कभी तन्हाइयों में।
हर रोज़ तुमसे मिलना चाहता हूं,
बस यूं ही

चाहा तो कुछ ज़्यादा नहीं,
सिर्फ़ एक मुस्कान, एक नज़र,
या बस… तेरा होना।

बस यूं हीं,
हर रोज़ तुमसे मिलना चाहता हूं
जैसे सुबह को सूरज से मिलना होता है,
हर रोज़,
बस यूं ही

-


Fetching Vikky The writer Quotes