मैं इस उम्मीद में डूबा के तू बचा लेगा,
अब इसके बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगा।-
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ।
-अनवर शऊर
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तुम्हारे शहर में मय्यत को सब कांधा नहीं देते
हमारे गाँव में छप्पर भी सब मिल कर उठाते हैं।
-मुनव्वर राणा
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अब कर के फ़रामोश तो नाशाद करोगे
पर हम जो न होंगे तो बहुत याद करोगे।
-मीर-तकी-मीर
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ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है।
-जिगर मुरादाबादी
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तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़'
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला।
-अहमद फ़राज़-
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं।
-फ़ैज़-अहमद-फ़ैज़-
रहते थे कभी जिन के दिल में हम जान से भी प्यारों की तरह
बैठे हैं उन्हीं के कूचे में हम आज गुनहगारों की तरह।
-मज़रूह सुल्तानपुरी
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न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद
मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था।
-फिराक़ गोरखपुरी
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