सर्द है, खुशनुमा है,
एक शाम तुम्हारे बिना है,
चाय पी रहे अकेले बैठ कर
थोड़ी आग है, थोड़ा धुआं है...-
मेरे लिए भी थोड़ा
वक्त निकाल लिया करना,
ये कहकर उसने मेरी कलाई पर,
अपनी घड़ी बांध दी-
ख़ुद रंग है, खुद जायका है
तुम्हारा इश्क, बिल्कुल चाय सा है।-
एक रोज़ ये हादसा भी,
हम दोनों के साथ होगा,
ज़िंदगी उस मोड़ पर लाकर खड़ा करेगी,
जहां से पीछे मुड़कर देखना भी पाप होगा-
जैसे डूबते को किसी तिनके ने थामे रखा,
उसने एक नाज़ुक सी डोर से मुझे बांधे रखा,
झुक गई सारी कायनात मेरी तरफ़,
उसने जब भी, अपना सिर मेरे कांधे रखा,
सहारा तलाशते हुए, थकी निगाहों को,
जब कुछ न मिला, तो मेरा हाथ सिरहाने रखा,
उसका नाम लिख, तबीज़ में डाल कर,
इक धागा पिरोया, और उसे बांधे रखा...-
हम दोनों ने जाना है बिछड़ने का मतलब,
वो मुझसे बिछड़ गया, कोई उससे बिछड़ गया...-
दामन में अपने 8 भाषाएं,
17 बोलियां पालती है,
हिंदी वो मां है,
जो पूरा घर संभालती है...।।-
मैं जो समझा था कम, उससे कमतर नहीं
प्यार बेकार है, पर मुझसे बदतर नहीं,
तुझसे बेहतर है दुनियां, ये माना मगर
दुनिया में कोई, तुझसे बेहतर नहीं
-
सफ़र एक हम अधूरा छोड़ आए,
इन गलियों में रास्ता छोड़ आए,
दूर एक घर की तलाश में,
कई दिलों में बसेरा छोड़ आए,
कुछ खुशी में नम कुछ दुख में भीगी हुईं
कई आंखों को रोता छोड़ आए,
शाम हुई, लौट आए मां के आंचल में मगर,
खुली बाहों में एक सवेरा छोड़ आए...-
बैठे हैं इंतजार में अकेले,
किसी के आने की आस भी नहीं है,
भीड़ ही भीड़ है आसपास मगर,
कोई आस पास भी नहीं है,
गुमज़दा हैं किसी को ख़बर नहीं
खुश हैं की नहीं इसका एहसास भी नहीं है
भूल आया हूं किसी की चौखट पर खुद को
किस हाल में हैं, कैसे हैं, होशोहवास भी नहीं है,
बैठे हैं इंतजार में अकेले,
किसी के आने की आस भी नहीं है,-