क्या खरीदने आए हो साहब इश्क के बाजार में यहां दर्द ही मिलता है इश्क के अभाव में... खो जाता है कई बार चैन व सुकून दिल लगाने वालो का.. और फिर वो ढूंढता है इसे हुस्नों के मकान में...
इस कदर के हालात हैं जिंदगी में ना जाने कब कौन सा मोड़ आएगा... जो आज सच लग रहा है वो सिर्फ सपना बन कर यादे छोर जाएगा... वैसे उम्मीदें नहीं छोड़ी है जीने की हमने क्यूंकि लगता है शायद अपना भी टाइम आएगा।
दिल तो चाहता नहीं तुझे ऐसे नजरअंदाज करना लेकिन दिमाग ने इस पे काबू पा रखा है.. क्योंकि दिल को कहां पता कि जिस दिल पर मेरा नाम था उस पर तुमने किसी और का नाम लिख रखा है ...
जले बुझे ख़्वाब मेरे ना हो तुम मेरे पास और ना मैं साथ तेरे फिर भी एक रिश्ता कायम है दूर रहकर भी तुझसे ... क्यूंकि हमारी यादें हैं कुछ पास तेरे और कुछ पास मेरे...
ऐसी कौन सी खता हुई है मुझसे जो तुम मुझसे बात तक किया न करते हो, आते हो मेरे गली और पता किसी और का पूछा करते हो, बहुत कमजोर दिल है मेरा तुम्हें पता है ना... लेकिन फिर भी उसमें जख्में हजार दिया करते हो ।