कि राह चलते नज़रों से ना खेलो तुम, अपनी ज़ुल्फों को यूँ ना बिखेरों तुम, अब शहर के हर भ्रमर, तुम्हारी तफ्तीश़ में है, उनके रंग ढंग भी कुछ अज़ीब से है।
शहर के हर अख़बार भी आज तेरी तलाश में है, चेहरे से तेरे नकाब़ हटाने को बेताब से है, चाहते हैं वो कि तेरा हुस्न सरेआम हो जाए, और तू आइने तक के सामने बदनाम हो जाए॥
Papa ka haath Thame, Pahle kadam jo badhe the, Papa ne us waqt hi kaha hoga ki ab ye kadam kahan rukenge, Koi bhi baadhayein aa jaayein, Ab ye kahan thamenge