Vikash Kumar Maurya   (Vikash)
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Poetry With An Engineer
Joined 30 September 2021


Poetry With An Engineer
Joined 30 September 2021
16 DEC 2022 AT 16:05

यहां सब के दो चेहरे हैं
जो तेरे मुंह पर तेरे और मेरे मुंह पर मेरे हैं
यहां सब ढूंढते हैं अपना फायदा
किसी को कुछ मिले या ना मिले
बस मुझको मिल जाए सबसे ज्यादा!!😇

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30 SEP 2021 AT 16:11

और कितना आवारा बनाएगी मुझे।
मैं दुनिया का सताया हुआ हूं,
और कितना सताएगी मुझे।।

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30 SEP 2021 AT 15:08

नये नये लोगो से मुलाक़ात करते करते।
मुझे पता ही ना चला कब,
मुझसे मेरी मुलकात को अरसा बीत गया।।

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30 SEP 2021 AT 10:42

गुरुर-ए-अंदाज ना बयां किया करो हमारे सामने।
हम नूर के शौकीन हैं गुरुर के नहीं।।

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