Vikash Dhanda   (मुनीर नियाजी)
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Joined 27 September 2017


Joined 27 September 2017
30 APR AT 4:39

कल देखा एक आदमी अटा सफर की धूल में, गुम था अपने आप में जैसे खुशबू फूल में।

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28 APR AT 22:22

कुछ इसलिए भी साथ हूँ मैं तेरे, इस लिहाज से, कभी हमारा बीता हुआ वक्त बड़ा अच्छा था आज के हिसाब से, तेरी कीमत बताने और जताने से गुरेज कर रहा हूँ मैं, तेरे तंज होते नहीं बर्दाश्त मुझसे, अपने सब जाती मसलों से परहेज कर रहा हूँ मैं, जिन गड्ढों से निकालता था औरों को, आज खुद उसी दलदल में नजर आ रहा हूँ मैं, ढूंढ लोगे जमाने में, पा भी लोगे प्यार, मोहब्बत, बंगला - गाड़ी, मगर जिसकी नजर ना हटे तुम पर से वो एक नजर कहाँ से लाओगे, हो जाएगी हासिल मंजिल भी, मगर अब मुफ़लिसी वाली बेबाक हँसी, ये ख़ुशनुमा अंदाज कहाँ से लाओगे, करे जो दौड़ों - धूप का सफर, हंसी - हंसी कर जाए इंतजार से आगे का भी सब्र, मकान तो आलीशान बना लोगे किसी शहर के कोने में, मगर जो छिड़कता हो तुम पर जान, वो इंसान कहाँ से लाओगे, किसी के होने या ना होने पर भी कहानी तो चलती रहेगी, सब कुछ पाकर भी खुद का अधूरापन कैसे पूरा कर पाओगे।

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15 DEC 2024 AT 5:16

जब कोई भी मेरे साथ नहीं होता, तब तू होता है, शहर के सैर - सपाटे में, रात के सन्नाटे में, मेरी बेक़रारी में, सारी की सारी दुनियादारी में, खुद और खुदा के साथ झगड़ों में, मेरी सारी सफाओं में, मेरे हिस्से की सब अच्छी दुआओं में, मेरे अनसुलझे, अनसुने, अनगिनत सवालों में, मैं और मेरी तन्हाई अक्सर जवाब मयस्सर करने को फिरते हैं, ऐसा है, वैसा है, सोचकर बिफरते हैं, अब तू और तेरे लिए मेरा अहसास, सब अल्फ़ाज़ों की पकड़ से परे हैं, कितना मुश्किल है मन को समझाना, इसके सारे के सारे मोड़ टेडे - मेढ़े और संकरे हैं, किसी ना किसी दिन सब ठीक, सब हल हो जाएगा, ये ख़ूबसूरत आज बीता हुआ कल हो जाएगा, हमारी कहानी के किरदारों को भी पैर लग जाएँगे, और फिर एक दिन सब पुराने गड़े मुर्दों को दबाकर, दूभर होती जा रही ज़िंदगी के मसलों से निजात पाकर, अपनी - अपनी असलियत सामने लाकर एक - दूसरे से ब-खूबी मिल जाएँगे।

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30 OCT 2024 AT 0:27

सुकून का कर दे ओला, जिद और जुनून की तर्ज से बचा ले मौला, बरसों से खुद की तलाश में हूँ अब तो मुझे खुद से मिलवा दे, अपनों के लहजे पहुंचाते हैं चोट मुझे, इन उम्मीदों की भरी दलदल से निकलवा दे, मकसद दे, मैयार दे, सब्र का हथियार दे, मंजिल की तरफ कूच करने का अख्तियार दे, मेरी अना मिटा दे, मुझे खुद के कदमों में गिरा दे और अपनी नजरों में उठा ले, किसी के काम आ सकूं ऐसी मुझे सीरत दे, हाथ - पांव अब पड़ने लगे ठंडे, मुझे इन रास्तों की भटकनों से निजात दे, मेरे कर्मों का हिसाब ले, मेरी गुहार सुन, मेरी पुकार सुन, अपने दिल में मुझे पनाह दे, चांद और तारों को एकटक देखता रहूं, तेरी बनाई कुदरत की हर चीज का शुक्रगुजार रहूं, जो राह ले जाती हो आपकी तरफ मुझे वो चाल दे, जिस सांचे में मुझे ढ़ालना चाहो वैसा मुझे ढाल दे।

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27 OCT 2024 AT 16:50

रखता है वो बच्चे - सा दिल कि छोटी सी बात पर भिड़ जाए, फिर है इतना भी बड़ा, कि बड़ी से बड़ी बात भी पी जाए, हादसों का शिकार है वो भी, मगर अपनी जबान से किसी को बुरा बतलाता नहीं है, जिद्दी है, मगरूर है, खुद पर खुदा के सिवा किसी और की मनमर्जी चलवाता नहीं है, हौंसला बढ़ाता है, ढांढस भी बंधाता है, बस का हो तो साथ भी निभाता है, मगर हर किसी के सामने अपने हालात गिनवाता नहीं है, खुद पर हो कोई जिम्मे की बात तो पहली सफ में खड़ा मिलता है, मगर खुद की बारी किसी को पाता नहीं है, खुद को एक जरिया मानता है, इसलिए चल रहा है, नासमझ है कुछ अनछुए पहलूओं से वो भी, वक्त के साये और धूप में वो भी ढल रहा है, आगे आने वाले कल के लिए भी है तैयार और कहता है कि मेरा अब तक बहुत खूबसूरत कल रहा है।

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21 OCT 2024 AT 14:06

किसी दिन वो सारा मर्म समझ जाएगा, मगर तब तक सारा खेल खत्म हो जाएगा, मेरी पुरानी आवाजें उसके कानों में रस घोलती रहेंगी, मेरी खामोशी भरे लहजे उसकी तन्हाई के सिर पर चढ़कर बोलते रहेंगे, सब गिले - शिकवे मिट जाएंगे, मगर उसके दिल में यादों के थक्के जम जाएंगे, मैं आबशार हूँ मेरा गिरना तय है, मगर " फहमी बदायूंनी " वो शख्स अपनी गलतफहमी का शिकार हो जाएगा, वो चाहकर भी मुझे पुकार ना पाएगा, मैं सुनकर भी उसकी आवाज अनसुनी कर जाऊँगा, फिर वो ताउम्र मेरी राह तकता रहेगा और मैं किसी मील का पत्थर हो जाऊँगा।

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7 OCT 2024 AT 23:52

मालूम है मुझको रस्ता मेरा कि कैसे जाना है, कुछ रिश्तों की उम्र बड़ी छोटी तो कुछ यारियों को उम्र भर निभाना है, हर ताल्लुकात को जोड़ने से पहले कितनी तहकीकात करते हैं लोग, ये भूल जाते हैं कि सब किया - कराया आगे आना है, जलसे में मिलेगी भीड़ मगर दुख के समंदर में अकेले ही तैरकर जाना है, अपने अच्छे होने का कभी गुमान ना करना " विकास ", तुम तो कुछ भी नहीं तुमसे ऊपर ये सारा जमाना है, दो - चार मीठे बोल बोल सको तो बोल हो, जिंदगी के बड़े अलग ही साज और इसका सफर एक अनसुलझा तराना है, मैं और आपसे इस जिम्मेवारी संभालने की उम्र में मिला, ये मेरा नहीं कोई ऊपरवाले का ही बहाना है, तलाश में गुम हूँ मैं जिसकी उस सब्र का फल भी कभी ना कभी तो खाना है, मुस्तकिल हूँ मैं अपने उसूलों और लहजों पर, मगर मेरे मुस्तकबिल में ना जाने कौन सा मुन्तक़िल ठिकाना है।

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29 SEP 2024 AT 3:02

I talked to God about everything, my scars, my fears, my secrets, my regrets, my beliefs, my mischiefs, about my real and imaginary fights, wrongs and rights, the scattered dreams, unheard screams, whatever I did, whenever I did, when I cried, when I lied, my goals, different stories and the roles, I asked for the proof of being from the God while waking up in the mid of dark nights, when I crumble, the wall in front of me, all I was doing bumble, I asked only for a solution, doing so many resolutions, repeating affirmations, awaiting for the signs and confirmations, overthinking, assumptions and patience, seeking for the real purpose in the world of puppets, life like a circus, in return, I didn't get any answer, got only silences.

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26 SEP 2024 AT 0:50

जिसने कर दिया हो खाली अपना कासा, लुटाने का मजा उस से पूछिए, अगर कभी हमारे दरम्यान हालात हुए एक जैसे, उन खता भरी आँखों में दिलासा की भूख हमसे पूछिए, जब तारीफों के बदले मिले सिर्फ चंद तंज, जो सह गए बस फिर वो खुद में कहीं रह गए, उनका पता अब हमसे ना पूछिए, मुझे नहीं सुननी तुम्हारी कसक भरी बातें, ऐन वक्त पर हिसाब मांगेगा मेरा खुदा, अपनी सब बही उनको दिखाने के लिए बचाकर रख लीजिए।

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21 SEP 2024 AT 1:34

कभी - कभार हक़ीक़तें जब सब कुछ तार - तार कर दें, अच्छे - भले इंसान को भी बेज़ार कर दे, जब ख़ुद ही की नीयत खटकने लगे, सब संभले - संभलाए रास्तों से भटकने लगे, मनपसंद चाहतों से भी मन घुटने लगे, नापाक इरादे उठ खड़े हो, दिल की अच्छाइयों के दीये बुझने लगे, ऊपर आसमाँ में है कोई, इस यक़ीन पर शक होने लगे, किसी चमत्कार की उम्मीद हो, अब हम किसी की अड़चन ना बने, सबको दौड़ने, साथ छोड़ने की मोहलत हो, हर किसी को उसका मैदान मिले,पहचान मिले, नफ़ा - नुक़सान मिले, हर किसी को अपना चहेता इंसान मिले, मुकाम मिले, सबकी मनमाफिक कहानियाँ परवान चढ़े, हर कोई अपनी चाल चले, मैं भी आख़िर अपने ख़ौफ़ों से बेख़ौफ़ हो जाऊँ, कुछ सवालों के जवाब मयस्सर कर पाऊँ, मोहब्बत मेरा नसीब या फिर मोहब्बत के हिस्से में मैं नहीं, बस अब अनजाने में या जानबूझकर किसी क़िस्से का रक़ीब ना बन जाऊँ।

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