Where is the truth?
Far behind the moon,
or just on the tree?
Do I have to pay the cost, or will I get it free?
The question disturbs the mind:
Who am I?
Just a vendor,
or a customer?
Maybe I am just a traveller,
wandering through the woods,
trying to keep the promises alive.
The woods are lovely, dark, and deep,
But I have promises to keep,
And miles to go before I sleep,
And miles to go before I sleep.
Where is the truth?
Just behind the moon, or just on the tree?
@Vikash-
Old pen name: I_am_pen, © mirrored
YouTube channel: Khaamosh kalam.. Lin... read more
सोचा आज दर्द लिखूं,
पर कौन-सा लिखूं?
आज का या कल का,
झोपड़ी का या महल का,
आग का या जल का,
आसमान का या भू-तल का,
कठिन का या सरल का,
अभी का या हर पल का,
संघर्ष का या सफल का,
दोस्ती का या छल का,
नज़र का या आँचल का,
मौन का या ग़ज़ल का,
सूखे का या बादल का,
बारिश का या फसल का।
क्या लिखूं?
आज का या हर पल का?
@Vikash-
दर्द को कहां पता कि वह क्यों ही है
सोचा कोई रस्म है तो बस यूं ही है।
ज़ख्म हरा..खून लाल..और मरहम बेरंग क्यों ही है?
सोचा काई रंग है तो बस यूं ही है।
जीत, हार, जीना, मरना सब क्यों ही है ?
सोचा कोई जंग है तो बस यूं ही है।
आसमां, आजादी, डोर सब एक ही थैले क्यों ही है ?
सोचा कोई पतंग है तो बस यूं ही है।
विकास! साल नया, तारीख नई पर हाल पुराना क्यों ही है ?
सोचा कोई रस्म है तो बस यूं ही है।
@Vikash-
क्या ही खत क्या ही जवाब मांगता
क्या ही सारे सवालों का हिसाब मांगता।
किस्सा बस कुछ कोरे कागजों का ही था.. क्या ही उनसे पूरी किताब मांगता
और नींद मेरे नसीब में ही नहीं.. क्या ही उनसे कोई ख़्वाब मांगता।।
@Vikash-
दब गई थी वो रिश्तेदारों के कर्ज़ में,
और मैं बिक भी जाता, तो भी EMI से कम था।
@Vikash-
People know us by the decisions we have taken and we know ourselves by the decisions we have not taken.
@Vikash-
अजब सा माहौल था
रावण के दहन का,
लोग खुशी से झूम रहे थे।
फिर सब जल्द ही घर को चल दिए
अंधेरा होने से पहले,
क्योंकि सब जानते थे
मुहल्ले में अब भी ढेरों रावण घूम रहे थे।
@Vikash
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मोहब्बत नहीं तेरे नसीब में 'विकास'
यूं चीखों के बीच.. गीत न गाया कर।
लाख दिखे तुझे सोने के पिंजरे..
जो खंजर दिखे..सीने के बल गिर जाया कर।।
@vikash-
बिछड़ने से पहले ज़रा सी मुस्कुराई थी वो,
मन में कुछ तो ख़ुशी थी,
बड़ी मुश्किल से छुपाई थी वो।
@Vikash-
मुझे आईना बना कर.. दीवार सजा दो
भले तुम पत्थर बन कर.. बार-बार सज़ा दो।
टूटकर देखूं सौ आँखों से तुझे
बिखेरकर मुझे.. एक आख़िरी बार सजा दो।।
@Vikash-