"वो खुद का ही होना है मुझे
दुनिया की इस भीड़ में
अपने पराए की ज़ंजीर में
मतलब की बस्ती से कुछ दूर
अपनी ही मस्ती में मशगूल
खिलखिलाके बेबाक हँसना है मुझे
अपने में और सिर्फ अपने में ही बसना है मुझे
कुछ पास रहे तो साथ रहे
कुछ दूर हुए तो छोड़ दिया
किसी की व्यस्तता ने उन्हें जकड़ लिया
तो किसी ने काम निकलते ही मुँह मोड़ लिया
सबका होकर भी किसी का नहीं होना है मुझे
बस खुद के लिए, खुद तक,
और खुद का होना है मुझे
हर जीत की हर हार की
दुखी क्षणों से लेकर मुस्कुराती
जिन्दगी के सार की
खुद के लिए निकाल समय
खुद को देना है मुझे
थोड़े बिखरे हुए खुद को समेट
फिर खड़े होना है मुझे
हर सफर की राह से
हर मंज़िल तक कुछ पिरोना है मुझे
कल्पना से पार हक़ीक़त के साथ
हर आग़ाज़ से शुरू कर हर आंज़म के बाद
खुद की खुशी ढूंढ़ खुद ही खुश होना है मुझे
आदि से अंत तक, सिर्फ़ और सिर्फ़
खुद का ही होना है मुझे"-
मेरा सफ़र तो क्षितिज तक है जनाब।।
कुछ पढ़ के समझा कुछ समझ के पढ़ा!!
आज तेरी गली से गुज़रे तो
वो अहसास दोबारा हुआ
बीते हुए कल का फिर से
कोई इशारा हुआ
सोचा एक दफा दस्तक
दे तेरे दरवाज़े पे
फिर स्वाभिमान को ये भी
ना गवारा हुआ
वक्त के साथ संभल गए थे हम भी
न जाने क्यूं
बिखरने का शौक़ दोबारा हुआ
मिलके भी एक ना हो सके हम
जैसे तू नदी तो मैं किनारा हुआ
चलो ख़त्म करते हैं इस किस्से को यहीं
इक तारे के टूटने से कहां आसमां में
अंधियारा हुआ!!-
कभी कभी सोचता हूं
प्रेम का नाम बदल
बनारस रख देना चाहिए
तुम्हें गंगा सी पावन और
मुझे घाट सा मादक कर देना चाहिए!-
वो वादे करता है
और करके भूल जाता है
जाने क्या हुआ है उसे
अब बात-बात पर रूठ जाता है!!-
I need your shoulder
when I cry !!!
To overcome my pain
To heal every strain
When I stucked in my thoughts
When thread of life got a knot
When I couldn't find the way
Need your hands to take me away
When it's tough to say anything....
Need you to ease everything
When my hearts beats little faster
Need moments with you for laughter
I wanna feel rain with you
Never wanna be strange to you
When have to cross miles👣
Need your companionship for while
I need you besides the conflicts
Beyond every limits........🧿
Want my speculations turn to reality
& We just keep Endless Affinity-
चन्द पलों को निकाल व्यस्तता के पिटारे से आज दादी की गोद में सर रख लेटा तो कुछ गुफ्तगू हुई -
आगे अनुशीर्षक में पढ़ें:--
अटल सत्य है
कि ईश्वर है
वरना आकाश के अश्रु
धरती से ना मिलते
सूर्य-चंद्रमा यूं एक दूसरे के
पूरक ना होते
और कैसे मिलता मैं
तुम्हें तुम मुझे
कैसे आता मीलों दूर से
इस 32 एकड़ के सीमित दायरे में
खुद को तुमसे जोड़ने
कुछ रिश्ते वो बनाता है
हम निभाते हैं.....अनंत तक
हममें उम्र का अंतर,
कक्षा का अंतर,क्षेत्र का अंतर
समानता है तो केवल एक
हम एक हो गए...
दोस्ती के रिश्ते से
भाईचारे के स्नेह से
जैसे तपती जमीन को
वर्षा की बूंदें
सर्द ऋतु में झिलमिलाती धूप
बगानों में सुशोभित पुष्कर
और मुझमें समाहित तुम
जीवन का प्रत्येक रिक्त
स्थान भरने वाले
प्रीति के पीयूष से
सराबोर करने वाले
शेष अनुशीर्षक में......-
उसके अनुक्रमांक से,अपने
अनुक्रमांक का मेल बैठाना
किसी कुंडली मिलाने से
कम था क्या!!-