Vikas Sharma   (विकास शर्मा)
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Joined 5 July 2020


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6 APR AT 17:24

आज जब चांद आएगा तो एक बात, पूछूँगा उससे !
कैसे कटती हैं बिना चाँदनी के रात, पूछूँगा उससे !!

उसको भी खलती होगी कमी तो, उसकी भी जरूर !
क्या वो भी मुतास्सिर हैं उसकी बात से, पूछूँगा उससे !!

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26 MAR AT 19:26

मर-मर के जीना सीख रहे हैं तेरी सोहबत के लिए

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25 MAR AT 13:42


बंधन

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22 MAR AT 13:49

तेरी साँसों में अपनी साँसे मिला दूँ, तेरे होंठों का रस अपने होंठो को पिला दूँ !
तुझे बाहों में भरकर इस कदर प्यार दूँ, तेरी रूह से अपनी रूह को मिला दूँ !!

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22 MAR AT 13:44

तेरी साँसों में अपनी साँसे मिला दूँ, तेरे होंठों का रस अपने होंठो को पिला दूँ !
तुझे बाहों में भरकर इस कदर प्यार दूँ, तेरी रूह से अपनी रूह को मिला दूँ !!

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20 MAR AT 13:47

कैसे कहूँ कि मैं क्या चाहता हूँ, मैं बस अब तुझे मेरी जाँ चाहता हूँ !
तेरे हाथों में कमल भी शबाब हों जाए, तेरे पहलू में ज़रा सी पनाह चाहता हूँ !!

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16 MAR AT 14:46

मैं चुभता हूँ लोगों को काँटे की तरह,
रहता हूँ मैं नमक और आटे की तरह !
मैं भूल जाऊँ किसी को मुमकिन हों,
लोग मुझे भुल नही पाते एक बड़े घाटे की तरह !!

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10 MAR AT 3:31

मेरे पे ना जाने कितने हैं, इस दुनिया के इल्ज़ाम,
तू हो जाएगा मेरे साथ गुमनाम, तू मेरे साथ ना चल !

मेरे साथ जब आएगा तेरा नाम, तू भी हों जाएगा बदनाम,
कैसे काटोगें मेरे साथ तुम उम्र तमाम, तू मेरे साथ ना चल !

तू चमक भरी सुबह की धूप सी हैं, मैं ग़मों से भरी शाम,
अंधेरों से भरें हैं मेरे सारे मुक़ाम, तू मेरे साथ ना चल !

मेरी ये मश्वरत आएगी तेरे काम,
तू मेरे साथ ना चल,
तू मेरे साथ ना चल....!!

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9 MAR AT 17:10

तेरे साथ यूँ ही बैठे-बैठे, अपनी तमाम उम्र गुज़ार दूँ !
तुझे लगे ना कोई बदनज़र, आ तेरी नज़र उतार दूँ !!

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6 MAR AT 19:13

कि अब जो दिल-ए-चुभन-ए-सिर्र जज़्ब हैं बता भी देना !
पुराने खतों का एक-एक हर्फ़ पड़ना, फ़िर जला भी देना !!

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