Vikas Sharma   (Mr.poet vikas sharma)
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Joined 10 April 2020


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Joined 10 April 2020
21 SEP 2022 AT 10:05

हसने की सारी वजह छीन ली उसने
हम भी ढीठ इतने ह साहब की
अब हम बे वजह मुस्कुरा लेते ह

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17 NOV 2021 AT 11:11

सोचो कितना रोया होगा
वो शीशा भी
जो खुद भी टूट गया
और दूसरों को भी चुभ गया

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17 NOV 2021 AT 10:48

शक से सुलह नही होती

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26 SEP 2021 AT 21:31

एक हद में था सब कुछ
फिर अचानक सब कुछ हद से पार हो गया
पता ही नही लगा कब प्यार हो गया

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24 SEP 2021 AT 18:08

हरियाणवी
तेरे खातर मेरा प्यार लाखा आशिका ते ऊपर है
अर चा तू बेवफा ना निकली शुक्र है
हिंदी
तुम्हारे लिए मेरा प्यार लाखो आशिको से ऊपर है
चाय तुम बेवफा नही निकली शुक्र है

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7 SEP 2021 AT 15:29

सुना है मोहब्बत के अनेक रंग होते है
तो फिर हम दोनों सब रंगों को अपने मे संजो कर एक हो जाऐ है 😘😘😘

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7 SEP 2021 AT 15:20

तुम्हारे होटो की हंसी देख कर
इस नालायक से लड़के की हंसी भी देखने लायक हो जाती है

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4 SEP 2021 AT 9:41

कागज की नाव में सवार था बचपन
पता नही कब बचपन को ही किनारे लगा दिया
बैठा कर जवानी की कश्ती में
हाथों में जिम्मेदारीयो का चपु पकड़ा दिया

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3 SEP 2021 AT 16:34

हम उनके झूठ पर भी ऐतबार कर बैठे
और वो हमारे ऐतबार के सहारे पर व्यापर कर बैठे
उन्होंने बेच दिया हमे पूरे संसार मे
और हम उन्हें अपना पूरा संसार कह बैठे
हम उनके झूठ पर भी ऐतबार कर बैठे

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3 SEP 2021 AT 16:25

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