Vikas Puniya   (Vicky)
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Joined 12 July 2018


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31 JAN 2022 AT 10:06

वो समझा ही नहीं मेरा बिखरा हुआ स्वभाव
बेबात चिड़ना, और झगड़ना मेरा
उसको खटका तक नहीं
उससे दूर जाने का सबब

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28 JAN 2022 AT 20:40

ओ.... नादान सी पागल लड़की
सुन
मैं वाकिफ हु तेरे दिल की दगा बाजीयो से
मैं अब दुआ करूंगा रब तुम्हें खुश रखे

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17 JAN 2022 AT 22:04

मेरी नाराजगी से भला किसे फर्क पड़ता हैं
हर चेहरे पे बस मतलब चमकता है

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3 NOV 2021 AT 1:39

कोई सारथि भी अपना कृष्ण सा नहीं
कोई सगा भी अपना राम सा नहीं
न है गुरू द्रोण जो सिखाये नेत्र भेद मुझे
हारा हु अगर स्वयं से तो जीत लुंगा मुझे

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9 OCT 2021 AT 21:16

ये....... मौसम ही हिज्र का हैं
मैं मलाल, भल्ला किसका करू।
किनारे तक ले ही आया डूबी हुई कश्ती उसकी
इक रोज डुबना है मुझे, अब भल्ला इन्तजार किसका करू।

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1 JUL 2021 AT 21:36

Kuch bate jo batai nhi gai
Kuch manate dil me chhipai na gai
Me usko manta hu or mangta hu uss khuda se
Jiski khudai hamane dil se kabhi nibhai nhi

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25 MAY 2021 AT 10:27

भरोसा एक ऐसी खामोशी है
जिससे दुनिया चलती है
अफसोस.....
की ये खामोशी मुझे नहीं आती

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5 MAY 2021 AT 11:12

एक नयी रात की बात हो कर रह गई थी जिंदगी। लगा कि आखिरी शाम सांस ले रही थी जिंदगी। दुनिया की सारी रंजिशे शिकवे शिकायत सब मानो खत्म से हो गए थे । 180 की स्पीड में चलती हावड़ा एक्सप्रेस सी मेरी धड़कने अगले स्टेशन से पहले अपनी धक धक कम कर रही थी। इन सब से उभर कर एकटक उठा और घर को लौटा उस इंसान के पास जिसका मै ऋणी हु.................

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4 MAY 2021 AT 19:11

अब मौत ढुंढती है खंजर चीखते है
मजबुरीयो के सायो में आशियाने चुभते है
दर बदर भटकते मन में तेरी याद से
उफ्फ ये जिंदगी मुस्कुराने लगी

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1 MAY 2021 AT 8:18

उसको अपने ही ख्यालो में रहकर ढुंढता रहा हूँ मैं
पास न रह कर भी उसकी बाहो में सोया रहा हूँ मैं

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