तेरी आंखों की नमी को, सोख लेना था मुझे,
बस एक आवाज ही तो देनी थी, रोक लेना था मुझे
रातें कई जाग कर निकाली थी, अब चैन से सोना था मुझे,
कई बार गलत साबित हो चुका था, पर अब आखरी बार होना था मुझे
क्या डूबती उस कश्ती को, मझधार से मोड़ लेना था मुझे,
क्या झुक जाता इस बार भी मैं, क्या सच में रोक लेना था मुझे ||-
Vikas Meena
(Vazra)
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Insta: me_v_kas
Joined 8 July 2020
21 MAY 2021 AT 20:28
25 JUL 2020 AT 13:32
फ़रेब की इस दुनिया में, बसर हम कर ना सके ।
झूठ हम कह ना सके, और सच वो सुन ना सके ।।-
11 JUL 2020 AT 17:53
इस रेत के समंदर में, क्यूँ पानी ढूंढता है ।
ये कातिलों की बस्ती है दोस्त, और तू कुर्बानी ढूंढता है ।।-
11 JUL 2020 AT 16:54
आव़ाजों के जंगल में, तू कान लगाए बैठा था ।
मैं जान लगाए बैठा था, तू घात लगाए बैठा था ।।-