vikas kumar   (✍️✍️vikas kumar🖊️🖊️)
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Joined 16 June 2020


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Joined 16 June 2020
1 OCT 2022 AT 16:16

समय k behte darie me धूल lag jate hai
पुराने rishte bhulaye nhi jate
नए rishto k गुल khil jate hai

सफर mein aana jana hota hai लोगों ka
Dekha jaye to मुर्दों pr bhi फूल khil jate h

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26 SEP 2022 AT 21:10



मशरूफ इस बेपनाही सी ज़िंदगी में
हम इस कदर हो जाएंगे
जनाब
हम होंगे खड़े सामने आपके
मगर अफसोस
आपको नजर तक ना आएंगे।
गुजरेंगे तो खबर होगी आपको
किसी रोज मुलाकात हुई
तो भी नज़रे बिना मिलाए गुजर जायेंगे ।
- विकास कुमार

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6 AUG 2022 AT 21:12

बेटी

चहकती हुई शम्मा की लौ है , बेटी
उड़ते आंचल के नीचे छुपी बैठी , बेटी

सफर का किरदार निभाने में अव्वल है , बेटी
तड़प के रह के सब सह जाए , बेटी

उड़ते गगन की चिड़िया है, बेटी
जमीन पर प्यारी गुड़िया है, बेटी

पंख खोल आज़ादी की चाह है , बेटी
जगत को अपने गोद में संभालती है , बेटी

पवन में आंधी की बहाव है, बेटी
चंद्र की रोशन छांव है, बेटी

सूर्य सी रहती गतिमान है, बेटी
इस जगत की सृजनकर्ता एवं निर्माण है, बेटी
- विकास कुमार

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19 MAY 2022 AT 20:13

मरीज ए इश्क की कुछ दवा दीजिए
सजा दीजिए या दुआ दीजिए
ए कातिल मोहब्बत की
जो देना है जरा जल्दी दीजिए

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19 MAY 2022 AT 20:10

दिलकश नजारों की फिजाएं बंधी थी
समय की पाबंदियों पर सीमाएं बंधी थी
ये जहां हमारा है ये समा हमारा है
हम तुम्हारे हैं और सब तुम्हारा है

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11 MAY 2022 AT 17:32

चंद लम्हों की ख्यालों की प्याली है
आखिर में टूट ही जाएगा
सफर लंबा है तो क्या
ये भी गुजर जाएगा
मुस्कुराहट बनाए रखो लबों पर
उदासी की घटा का क्या है
ये भी छट जाएगा
जीना है तो सुकून से जी
हौसला रख बंदे
वक्त मुश्किल है तो क्या
है तो वक्त ही ये भी गुजर जाएगा ।
विकास कुमार✍️✍️

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2 MAY 2022 AT 20:43

काश वो बचपन फिर लौट आए
वो जीवन एक बार फिर जी पाए
जहां न जज़्बात थे ना थे हालात कुछ
बस हम थे और थे हमारे यार कुछ
-विकास कुमार

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29 APR 2022 AT 13:54

भगवा साजे मस्तक साजे !
जन जन मन में राजे !
राम राम ही नाम भाजे ।

पावन धरा के बिंदु है !
बहती धारा सिंधु है!
गर्व से कहो ,
हम हिंदू हैं ।।
विकास कुमार✍️✍️

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28 APR 2022 AT 16:34

तेरी आवारगी की आरजू ,
तेरी सादगी से गुफ्तगू ,
अपनी आशिकी की हर सुबह ,
हर शाम तुझपे वार दू ।

मेरा हमसफर मेरा ख्वाब तू ,
मेरे मन की है आवाज तू ।

मेरे हर खुशी का पैगाम तू ,
मैं थकान हूं, आराम तू ।

मेरा मान तू सम्मान तू ,
मैं हूं कौन, मेरी पहचान तू ।।
विकास कुमार ✍️✍️

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27 APR 2022 AT 21:46

गुनाह ।
हर मोड़ पर गवाही अच्छा नहीं
ज्यादा अच्छा होना भी अच्छा नही
थोड़े गुनहगार होना भी जरूरी है
किसी का कर्जदार होना अच्छा नहीं।

लोग गलतियां संजो कर रखते है
मन में अपनी
मोका मिले की जहर की तरह
उगेल देते हैं।
अच्छे बनने से क्या फायदा
जब आखिर में रिश्ता तोड़ ही देते हैं ।
विकास कुमार ✍️✍️

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