मै थोड़ा भद्दा सा, और तुम चमकीली सी थी
शायद इसीलिए ये ज़बां अटक जाती है
तुम कहती सब कुछ और मै कहता नहीं
बस ऐसे ही मेरी मोहब्बत निभ जाती है
वो जो यादें है कुछ कुछ वो पुराने बस्ते में हैं
हर दिन देखकर जिन्दगी निकल जाती है
अब तो दूर हो, पर सारी खबर है मुझे
तुम खुश तो सुकूँ भी कभी कभी मिल जाती है
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