𝑉𝑖𝑘𝑎𝑠 𝐾ℎ𝑜𝑘𝑎𝑟ℎ   (𝕧𝕚𝕔𝕜𝕪 👑)
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Joined 8 May 2019


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Joined 8 May 2019

𝐿𝑖𝑓𝑒 𝑖𝑠 𝑡𝑜𝑜 𝑠ℎ𝑜𝑟𝑡
𝑏𝑢𝑡 𝑖𝑡𝑠 𝑠𝑜 𝑙𝑜𝑛𝑔
𝑤𝑖𝑡ℎ𝑜𝑢𝑡 𝑦𝑜𝑢.

𝑇𝑖𝑚𝑒 𝑖𝑠 𝑔𝑜𝑖𝑛𝑔 𝑜𝑛
𝑏𝑢𝑡 𝑖𝑡 𝑠𝑡𝑜𝑝𝑝𝑒𝑑 ℎ𝑒𝑟𝑒
𝑤𝑖𝑡ℎ𝑜𝑢𝑡 𝑦𝑜𝑢.

𝐼'𝑚 𝑟𝑢𝑛𝑛𝑖𝑛𝑔 𝑓𝑜𝑟 𝑠𝑢𝑐𝑐𝑒𝑠𝑠
𝑏𝑢𝑡 𝑠𝑢𝑐𝑐𝑒𝑠𝑠 𝑖𝑠 𝑛𝑜𝑡ℎ𝑖𝑛𝑔
𝑤𝑖𝑡ℎ𝑜𝑢𝑡 𝑦𝑜𝑢.

𝐼'𝑙𝑙 𝑏𝑒 𝑏𝑎𝑐𝑘 𝑖𝑛 𝑎 𝑛𝑒𝑤 𝑚𝑜𝑑𝑒
𝑖'𝑚 𝑠𝑢𝑟𝑒 𝑓𝑜𝑟 𝑚𝑒
𝑏𝑒𝑐𝑎𝑢𝑠𝑒 𝑜𝑓 𝑦𝑜𝑢.♡︎

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शासन तंत्र की छाया में
तपिश असह्य लगती है
जितनी कम हो हैसियत
उतनी ज़्यादा मज़बूरी है

ना मुग़लों का शासन है
ना ही अंग्रेजी आतंक है
फिर भी आज़ाद देश के
वासी के पैरों में छाले हैं

श्रमजीवियों के रक्त से
क्यूं धरा यह रंजित हुई
संवेदनहीनता के आगे
मानवता भी बेबस हुई

जो जनसाधारण देश के
ख़ातिर हर दुःख सह ले
वही आज भटक रहा है
अनाथों की भांति सड़क पर

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मंगळ वेळा आयी बाज्या छै ढोळ नगाड
भूत पिसाचां सागै आयी भोळे री बारात

ब्रह्मा जी विष्णु जी बिराज्या च्यारूं वेद
तीनूं लोक गा रह्या मंगळ गौरी रै दरबार

खोलर जटाजूट आज धार्या हार मुकुट
बैरागी जोगीडो बणगो जोरको मोट्यार

देव दनुज मिनख पशु नाचै भूत पिसाच
घोड़ी चढ़ मार्यो छै तोरण म्हारै भगवान

जिणरी ढोक लगावै नित सकळ ब्रह्माण्ड
खा रिह्या छीं फेरा बण लाडा-लाडी आज

गौरी शंकर मिल्या जियां पवन र सुवास
अन्नपूर्णा मैया आयी जद कैलाशां रै मांय

थारी संतान छां हमकु चरणांसुं लगा लिज्यो
सै जीव थारा कुटुम्ब का या प्रेम जगा दीज्यो

छवि निराली आपरी भगवन दीज्यो आशीष
सकळ क्लेश मिटाज्यो मारा गौरीशंकरनाथ

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बिछड़ने का ग़म हमें भी बहुत है
हमारे ग़म की पर कीमत नहीं है

सोचा होगा मैं बेहतर इंसान हूं
बंदगी में ख़ुदा की मैं शूमार हूं

उन्हें भी तो उसी रब ने भेजा है
जिनको तूने फ़िर से सताया है

हमें राम का नाम ना नसीब हुआ
वक़्त पांच में भी ना तू इंसान हुआ

पहुंचेंगे जब ख़ुदा के पास तो
पूछेंगे राम जी यह बताओ तो

छोटी इंसानियत हुई किस तरह
ज़ुल्मी जी लेता है बेफ़िक्र किस तरह

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तप्त हुई धरा और तीक्ष्ण सूर्यरश्मि हुई
पग हुए क्लान्त मन में व्याकुलता जगी

विकट मरुस्थल राह दिशाहीन पगडंडी
दूर से उपवन निकट से मृगतृष्णा छवि

पुस्तकें उर्वरक और कलम है बीज रूपी
फल की नहीं आशा है पुनः धरा हरी होगी

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कह ना सके तो क्या हुआ
अपने प्रिय के लिए तो
पशु भी आंसू बहाते हैं

{ Read in caption 👇🏼👇🏼}



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जितना समय लगता है
निर्माण में
एक एक ईंट जोड़ने में
विश्वास बनाने में
आशा की ज्योति को कायम रखने में
उतना ही कम समय लगता है विध्वंस में

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I thought some good
Even I try it well
But it gone wrong again
I'm the boy who just knows to make mistakes

Some one said I'm Hero
Another one called me zero
But in real I'm not from both
I'm the boy who just want a simple life

I always believe them
It is why they call me a fool
I just say, that I want to say
I'm not that boy who have the talent of having two faces

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राखै हेत री मुस्कान
बातां मुख पर नहीं आए
पाळै घर संसार
माता एकली ऐसी

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अन्याय को न्याय बताने वाले
कैसे खुद पर हुए अन्याय गिनाएंगे
दूसरों के दुःख पर हंसने वाले
क्या अपनों को शोक मिटाएंगे

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