मिजाज़ अपना, कुछ गर्म, कुछ तल्ख़, और कुछ ख़ुश-गवार रखते हैं ।
ध्यान रहे, के हम जो हैं, बघेलखण्ड से ताल्लुक़-ओ-व्यवहार रखते हैं ।।-
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ये जो मुश्किलें हैं, इन मुश्किलों का सबब क्या है ।
हम जो चल रहे हैं, इन रास्तों में ऐसा अजब क्या है ।।
हम से पहले भी कभी कोई तो चला होगा इन पर ।
हम जो आज निकलें हैं, हम में ऐसा अलग क्या है ।।-
किसी का होने की चाह में, "मैं" यूं बिखरा हूं ।
के मानों, "मैं" पत्ता कोई शज़र से बिछड़ा हूं ।।
ये दूरियां, नवाज़िश-ए-कर्म हैं उनका, वर्गना ।
"मैं" आज भी उनके इंतज़ार में वहीं खड़ा हूं ।।-
ज़िन्दगी आसान है, पर ये लगती नहीं क्यूं ।
तेरी याद इस दिल से अब, हटती नहीं क्यूं ।।
मुश्किल हो रही है मुझ को, सांस लेने में भी ।
मौत चाहता हूं, मगर, मौत आती नहीं क्यूं ।।-
मुश्किल हो रही है अब मुझ को, खुद को समझने में ।
ऐसा लगने लगा है की "मैं", खुद को जानता ही नहीं ।।-
कहीं कभी अगर हम फिर मिलें, तो ये ध्यान रहे ।
के बस, मैं रहूं, तुम रहो और ये बियाबान रहे ।।-
तबाह कर लिया खुद को उनकी चाहत में ।
अब क्या बताएं, है कितनी मोहब्बत हमें ।।-
है अजब मोहब्बत का नशा ये दोस्तों ।
है दीवानगी की सारी इंतहा ये दोस्तों ।।
उसकी आंखें, उसके होंठ, उसकी बातें ।
है मेरे जीने की जैसे वजह ये दोस्तों ।।-
इक अजब सा नशा था उसकी आँखों का ।
मैंने इक दफ़ा देखा और बस, देखता रह गया ।।-
क्या क्या बतलाएं दुनिया को, के हम किस दौर से गुजरे हैं ।
दीवाने दीवाने से लगते हैं? अरे हम इश्क़ किसी से करते हैं ।।-