दबी हसरतों ने दस्तक दी है आज फिर से
देखो कि याद के ख्वाबों की खिड़की खुली है।
।शांडिल्य।-
कभी-कभी तन्हाई ही अच्छी लगती है
जब मन में यादों की भीड़ लगी हो।-
मौत को तो टाल नहीं सकते हम
चलो खोज लें एक बहाना जीने का।
शांडिल्य-
गजब शौक पाल रखा है उसने
सबको अपना बनाने का
खुद को ही खो दिया खुद से
खुद को हासिल करने में।
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दौर के गर्दिश में भी
हमेशा साथ रहता है
ये दर्द जीवन में
वही माशूक है साहब।-
एक अदद निर्जीव दीपक चुपचाप मुस्कुराता हुआ गहन अंधकार को अस्तित्वहीन करने की ख्वाहिश लिए जलता रहता है। बिना घबराए, बिना चिड़चिड़ाये,
एकदम शांत रह कर। फिर मनुष्य तो लाखों तंत्रिकाओं से बना हुआ है। उठो लड़ो। चुपचाप लड़ो। निराशा,अभाव , मुश्किलों से लड़ो इनको समाप्त करो।-
चुनौतियां ईश प्रदत्त उपहार हैं जो हमारी क्षमता में वृद्धि कर सफलता के द्वार तक पहुंचाती हैं।
। शांडिल्य ।-
उसको कमजोर मत समझो
यूँ खामोश देख कर
किसी के आँसू खरीद लाया है
अपनी मुस्कुराहटों को बेच कर।-