Vikas Bhardwaj   (Vikas Bhardwaj)
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Joined 22 March 2020


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Joined 22 March 2020
20 MAR 2021 AT 5:59

वो मुझ से तब तक राजी है,
जुबाँ पे जब तक हाँ जी है!

अब आने वाले कल का रोना,
खुश इसी बात पर माजी है!

हाले इजहार पर मत जाना,
याँ ना जी में भी हाँ जी है!

मैं तेरी नहीं रह जाउंगी
धर्मराज अन्तिम बाजी है!

तेरे हुस्न की शहरे पनाह पे
अव्वल तीरन्दाजी है !

रोते रोते सो गया 'बीके '
नमीं आंखों की ताजी है

माजी -बीता हुआ कल
धर्मराज - राजा युधिष्ठिर जिन्होंने द्रोपदी को भी जुए की अंतिम बाजी में हार दिया था
शहरे पनाह -शहर को बाहरी आक्रमण से बचाने वाली उन्ची दीवार

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19 MAR 2021 AT 12:59

यादे दश्त सबा भी पत्तियाँ हिला नहीं पाती,
दिन खूब थकन देते हैं रातें सुला नहीं पाती !

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24 FEB 2021 AT 10:02

झलक होगी आँखो में जुबान पर नाम
और दम उसे पुकारते हुए अटक कर टूटेगा

दिल मेरा डक्टाईल नहीं जो हर चोट सह ले,
ये मटरियल बरिटल है चटक कर टूटेगा

ये नाजुक सुराही झेल पाएगी दाब क्या
डर है गला पानी को गटक कर टूटेगा

एक शीशमहल है शहरे खन्डहरों में भी
सबकी नजर में रहता है खटक कर टूटेगा

शबभर लड़ा मन्डराते काले सायों से
जल जुगनूं से इक तारा पैर पटक कर टूटेगा

दावा ए खुशफ़हमी उसका कि खुश है वो
उसका ये दावा भी मुझसे लिपट कर टूटेगा

गुस्सा उसका पिघला देगी मेरे दिल की बेचैनी,
इन बाजुओं में इक दिन सिमट कर टूटेगा

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14 FEB 2021 AT 10:54

वतनपरस्ती इम्तिहान है,
जिसकी कीमत जान है!

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14 FEB 2021 AT 7:41

इश्क में इस कद्र हुए बेहाल कि आँसूं,

अब निकले,अब निकले,अब निकले ।

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13 FEB 2021 AT 20:31

चाहत उसके लबों की जो,वही चाहत मेरे लबों की है,
मैने कहा 'इजाजत है' ? उसने कहा 'इजाजत है'।

#kissday

-विकास भारद्वाज

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11 FEB 2021 AT 20:25

मैं भी हारा इश्क समर में,
तेरे वादे जयचन्द निकले!

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8 FEB 2021 AT 21:40

झाँक कर पढ लिया हमने
आंखें पर्दा नहीं जानती ।

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8 FEB 2021 AT 16:42

चहुँ और से बन्द सब ...ताले कर ,
पछता रहे हैं खुद को तेरे हवाले कर ।

झोंके दुखों के बड़ा सुख देने लगे हैं,
खुशियाँ गुजरी हैं बदन पे छाले कर ।

आँसुओं की सल्तनत हो रही है कायम,
मुस्कानें दुत्कारी गयी.. मुँह काले कर ।

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7 FEB 2021 AT 17:55

चेहरे से स्कार्फ़ उसने इस अदा से हटाया मानों,
सूरज की रोशनी में गुलाब खोले है पंखुडियाँ !

#roseday

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