"लोगों ने चाँद देखा, उनका ईद हुयाइक 'चाँद' मैं भी देखा, मेरा ईदी हुया...।" -
"लोगों ने चाँद देखा, उनका ईद हुयाइक 'चाँद' मैं भी देखा, मेरा ईदी हुया...।"
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"वैसे तो चांद निकलता हर शाम को,मगर मेरा 'चांद' नाराज हुये बैठा है।" -
"वैसे तो चांद निकलता हर शाम को,मगर मेरा 'चांद' नाराज हुये बैठा है।"
यह उन दिनों की बात थीजब एक भली सी साथ थी।ना तो बहुत आम थीना ही बहुत खास थीना तो सूरजमुखी वह थीना ही चंद्रमुखी सी थी।साथ-साथ कभी ना चलीपर राह जुदा ना थीबात तो कभी ना कीमगर हर पल साथ थी।रास्ते थे अलग-अलगपर मंजिले एक थीकभी चली कभी रुकीमगर नज़र हमी पर थी।ज़िक्र तो कभी ना कीपर चर्चा आम थाउसकी नज़रों ने ही मुझेबना दिया खास था।कुछ बंदिशे परिवार कीकुछ थी मेरी बेवकूफियाँसाथ होते होते भीबढ़ गई ये दूरियाँ। जब भी ज़िक्र आए तोलगे वो आस-पास हैवह दूर तो है नहीं पर पास हम न है।यह उन दिनों की बात थीजब एक भली सी साथ थी...। -
यह उन दिनों की बात थीजब एक भली सी साथ थी।ना तो बहुत आम थीना ही बहुत खास थीना तो सूरजमुखी वह थीना ही चंद्रमुखी सी थी।साथ-साथ कभी ना चलीपर राह जुदा ना थीबात तो कभी ना कीमगर हर पल साथ थी।रास्ते थे अलग-अलगपर मंजिले एक थीकभी चली कभी रुकीमगर नज़र हमी पर थी।ज़िक्र तो कभी ना कीपर चर्चा आम थाउसकी नज़रों ने ही मुझेबना दिया खास था।कुछ बंदिशे परिवार कीकुछ थी मेरी बेवकूफियाँसाथ होते होते भीबढ़ गई ये दूरियाँ। जब भी ज़िक्र आए तोलगे वो आस-पास हैवह दूर तो है नहीं पर पास हम न है।यह उन दिनों की बात थीजब एक भली सी साथ थी...।
"किसी ने कहा मीनाक्षीकिसी ने कहा मृगनयनीजिसने भी देखा इन नैनों कोसब ने कुछ न कुछ कहाअंत में बारी आयी मेरीमैंने कहा वह 'शून्य' है...।"©️ विकास 'एलियन' -
"किसी ने कहा मीनाक्षीकिसी ने कहा मृगनयनीजिसने भी देखा इन नैनों कोसब ने कुछ न कुछ कहाअंत में बारी आयी मेरीमैंने कहा वह 'शून्य' है...।"©️ विकास 'एलियन'
"रूठने की अदायें भी, क्या गज़ब है उसकी,लगाकर गले बोलती है, बात न करना किसी की।" -
"रूठने की अदायें भी, क्या गज़ब है उसकी,लगाकर गले बोलती है, बात न करना किसी की।"
समय के साथ-साथ समाजलडकियों पर लगाता है बंदिशेकभी पिता तो कभी भाई के रूप मेंकभी पति और पुत्र के रूप में।मगर लड़कियाँ भी होती हैकर्मठ, उत्साही और जीवटवे धैर्य के साथबगुले की तरह पैनी नज़र गड़ायेकरती हैं मौके की तलाश।वे न वामियों के बहकावे में आती हैन ही पोगापंथियों के पास जाती हैवे वेद के अहम् ब्रह्मास्मि कोबुद्ध के मध्यम मार्ग कोबनाती है अपना हथियार।दीवारों पर इनकोखूटियों सरीखे लगाकरधीरे-धीरे ही सहीफाँदती हैंऔर पहुँचती हैंएक नयी दुनिया में।जहाँ उनका खुद कानाम हैसम्मान हैपहचान हैअभिमान है। -
समय के साथ-साथ समाजलडकियों पर लगाता है बंदिशेकभी पिता तो कभी भाई के रूप मेंकभी पति और पुत्र के रूप में।मगर लड़कियाँ भी होती हैकर्मठ, उत्साही और जीवटवे धैर्य के साथबगुले की तरह पैनी नज़र गड़ायेकरती हैं मौके की तलाश।वे न वामियों के बहकावे में आती हैन ही पोगापंथियों के पास जाती हैवे वेद के अहम् ब्रह्मास्मि कोबुद्ध के मध्यम मार्ग कोबनाती है अपना हथियार।दीवारों पर इनकोखूटियों सरीखे लगाकरधीरे-धीरे ही सहीफाँदती हैंऔर पहुँचती हैंएक नयी दुनिया में।जहाँ उनका खुद कानाम हैसम्मान हैपहचान हैअभिमान है।
प्रिय! सुनो जरा और ध्यान रखो कभी गुलाब की आस न करोमृगनयनी सी बातों पर विश्वास न करोपंखुड़ियों से कोमल अधरों पर कान न धरोटेसू के फूल जैसे कपोलों पर बात न करो।उलझी जुल्फों को सवारने पर ध्यान न दोभुजंग सरीखे कटिभाग पर भाव न दोगजगामिनी जैसे शब्दों पर ताल न दोधवल सरीखे रंग पर तुम कान न दो।तुम देना साथ प्रिये उसका !जो सूरजमुखी सा तपिश लिए महकता होचक्षु के हर अक्ष को भरपूर समझता होओष्ठ के हर कोष्ठ को पढ़ लेता होगाल के हर खड्ड को भर देता हो।उलझे हुए जीवन को सुलझाता होमध्यांग को जो पूर्णांग कर देता होलड़खड़ाते चाल को संभालता होबेरंग जीवन को खुशियों से भरता हो।यदि ऐसा मानुष मिल जाए प्रिये!बेझिझक हाथ थाम लेना उसकाकदमताल करना जीवन भरजाना चाँद के उस पार प्रिये। -
प्रिय! सुनो जरा और ध्यान रखो कभी गुलाब की आस न करोमृगनयनी सी बातों पर विश्वास न करोपंखुड़ियों से कोमल अधरों पर कान न धरोटेसू के फूल जैसे कपोलों पर बात न करो।उलझी जुल्फों को सवारने पर ध्यान न दोभुजंग सरीखे कटिभाग पर भाव न दोगजगामिनी जैसे शब्दों पर ताल न दोधवल सरीखे रंग पर तुम कान न दो।तुम देना साथ प्रिये उसका !जो सूरजमुखी सा तपिश लिए महकता होचक्षु के हर अक्ष को भरपूर समझता होओष्ठ के हर कोष्ठ को पढ़ लेता होगाल के हर खड्ड को भर देता हो।उलझे हुए जीवन को सुलझाता होमध्यांग को जो पूर्णांग कर देता होलड़खड़ाते चाल को संभालता होबेरंग जीवन को खुशियों से भरता हो।यदि ऐसा मानुष मिल जाए प्रिये!बेझिझक हाथ थाम लेना उसकाकदमताल करना जीवन भरजाना चाँद के उस पार प्रिये।
तू अद्वितीय सुंदर दुर्लभ "अपूर्वा" हो,पर्वों में सबसे निराली फगुवा हो।छोड़ो काना-फूसी बेमतलब बातों कोएक नयी लीक बनाने वाली तू अगुवा हो।। -
तू अद्वितीय सुंदर दुर्लभ "अपूर्वा" हो,पर्वों में सबसे निराली फगुवा हो।छोड़ो काना-फूसी बेमतलब बातों कोएक नयी लीक बनाने वाली तू अगुवा हो।।
कल भी थे हम सबसे आगे,आज तो खुँटा गाड़ेगे।जाकर कह देना उन लोगों से,अब हम किला बनायेंगे।। -
कल भी थे हम सबसे आगे,आज तो खुँटा गाड़ेगे।जाकर कह देना उन लोगों से,अब हम किला बनायेंगे।।
अभी तो चलना शुरू किया है, उड़ान सारी बाकी है।मेरे इरादों पर मत जाना, अब तक की नुमाईश ही काफी है।।हिमालय को चुम लिया है,सागर की गहराई अब पानी है।जर्रे-जर्रे से पुछ लो जाकर,सबके लिए मेरी कहानी है।।सब चलते हैं राहों पर,हम खुद ही लीक बनाते है।आगे जाना मेरा चाह नहीं, मंजिल पर सबको लाते है।।पाला है ज़िद आसमां साख़्वाब तो अभी बाकी है।ये तो अभी शुरूआत है, अंजाम अभी बाकी है।। -
अभी तो चलना शुरू किया है, उड़ान सारी बाकी है।मेरे इरादों पर मत जाना, अब तक की नुमाईश ही काफी है।।हिमालय को चुम लिया है,सागर की गहराई अब पानी है।जर्रे-जर्रे से पुछ लो जाकर,सबके लिए मेरी कहानी है।।सब चलते हैं राहों पर,हम खुद ही लीक बनाते है।आगे जाना मेरा चाह नहीं, मंजिल पर सबको लाते है।।पाला है ज़िद आसमां साख़्वाब तो अभी बाकी है।ये तो अभी शुरूआत है, अंजाम अभी बाकी है।।