# मेरी कलम और दिल के अल्फाज़ #
(लाल रंग का ईश्क)
कोई नहीं है अपना यहाँ
मैं और तुम ही एक दूसरे के है जहाँ
मुश्किलों का सामना करना है अभी बाकी, क्योंकी
लाल रंग के ईश्क में रंगी किताब है मेरी बाकी...
एक आग का दरीया भी बुझ जाएगा
जब दो दिलो की धड़कनों को रास्ता नया मिल जाएगा
एक नई उड़ान भरना है अभी बाकी, क्योंकि
लाल रंग के ईश्क में रंगी किताब है मेरी बाकी...
कितने ही दिन और कितनी ही राते
बीत गई अकेले जैसे सदियाँ है बीते
उन सब का हिसाब करना है अभी बाकी, क्योंकि
लाल रंग के ईश्क में रंगी किताब है मेरी बाकी...
इस मन की बात को तुम हमें क्यों नहीं हो बताते
डर है तुम्हे रो ना दो तुम कही कहानी सुनाते सुनाते
इस दुनिया की सोच बदलना है अभी बाकी, क्योंकि
लाल रंग के ईश्क में रंगी किताब है मेरी बाकी...
@ विकास✍️
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