विकास शर्मा ग्रन्थ   (Vikassharmagranth)
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Poet , shayr
Joined 27 October 2017


Poet , shayr
Joined 27 October 2017

जिम्मेदारियां कभी भी अहसान का रूप नही ले सकती ।

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रिश्तों की गहराई उनमें डूबने से नही ।
उन्हें उभारने से मालूम पडती है।

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सामने ढाल से अड़े पापा।
बरगद के जैसे ही खड़े पापा।
कितनी गहराई है बातों में,
लगता हे सब में है बड़े पापा।

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मानसून रूठा रहा बहुत दिनों तक अब जाकर बारिश हुई है ।पौधारोपण हेतु आपका सहयोग अपेक्षित है।जाली सहित पौधा 350 रुपये में लगाया जा रहा है आप भी सहयोग कर सकते है।पानी देने की पूरी व्यवस्था रहेगी।

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सफलता के लिये तंत्र विद्या करने से बेहतर है प्रयत्नों का शंख पूरे जोरो से फूँका जाए।

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वृक्षीतम कार्य समिति इस वर्ष पुनः पौधारोपण शुरू कर रही है ।बारिश में देरी की वजह से काम थोड़ा देर से शुरू हुआ ।
आप भी अपनी भागीदारी प्रति पौधे के हिसाब से दे सकते है।

तारीख 24जुलाई 2021

प्रति पौधा 20 Rs

मोबाइल। 9993321650

निवेदक वृक्षीतम कार्य समिति सेगॉव

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असफलता मिलने के बाद पुनः उस कार्य के लिए प्रयत्न करना आपकी सकारत्मकता का दुर्लभ उदाहरण है।

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वृक्षतिम कार्य समिति वृक्षारोपण का कार्य आरम्भ कर चुकी है।आप भी अपना सहयोग कर सकते है ।प्रति पौधा 20 रूपये है ।आप जितने भी पौधों का सहयोग करना चाहते है कर सकते है।यदि आप उसकी सेफ्टी की भी व्यवस्था कर ना चाहते हो तो 500 रुपये जाली के भी दे सकते हो।

POONE PAY 9993321650
GOOGLE PAY 999332150

निवेदक वृक्षतिम कार्य समिति सेगॉव

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असीमित पृथ्वी का ये भुतल।
कहीं असमतल कहीं है समतल।
स्वच्छ आकाश इतना विशाल है,
आकाश गंगा का ये जाल है।
नदियाँ झरने सागर सारे ,
प्यार स्वरूप बहते रहते है।
ईश्वर की ऐसी रचना को माँ कहते है।
ईश्वर की ऐसी रचना को माँ कहते है।

आँखों की गहराई इतनी तह
को कोई जाने कैसे।
हिंदी में वो शब्द नही है लिख दे
उस पर गाने कैसे ।
छंद दोहे और गीत सभी
स्वर में जिसके बहते रहते है।
ईश्वर की ऐसी रचना को माँ कहते है।

दुःख में विचलित तनिक ना होना
रोना लेकिन धैर्य न खोना।
जिसके हँसने भर से केवल ,
महक उठे घर का हर कोना।

सुख समृद्धि जिसके कारण
घर में बहते रहते है।
ईश्वर की ऐसी रचना को माँ कहते है।
ईश्वर की ऐसी रचना को मा कहते है।

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रोशनी को रोशनी से क्या बुरा है।
ये सब तीरगी का किया धरा है।

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