विजय शून्य   (Vijay)
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Joined 31 August 2020


Joined 31 August 2020
10 APR 2022 AT 8:43

मेरे कमरे के सामने वाली सड़क पे ,
औ सुबह-सुबह टहलने नहीं आती;
औ तो मुझे जगाने आती।

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8 MAR 2022 AT 21:05

महिलाओं की समानता की बात की जाती है;
किन्तु!!!
महिलाओं की आजादी की नहीं।
सीमाएँ बनाई जाती है ;
उनके जीवन की!!

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23 FEB 2022 AT 6:54

स्त्री से प्रेम करने की बातें सभी करते हैं?!?
स्त्री को आजादी देने की बात कोई नहीं ।

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26 DEC 2021 AT 20:41

अपड़ी संस्कृति अपड़ी पच्छाण ,
घर गौं देश प्रदेश कखी भी राण।
डाई होण हरी भरी खूब ऊंची ळाण,
पर जड़ सी कबी अलग नि ळाण।
कामचलाळ बिराणी भाषा;
छंवी सदी अपड़ी भाषा मं लगाण।
घर बणौण बिराणा जगा,
पर अपड़ी कुड़ी चिणी रखाण।

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14 SEP 2021 AT 12:25

मैं बिन हिन्दी कैसे कुछ कह पाऊँ;
मैं बिन हिन्दी कहाँ कुछ लिख पायूं।
मैं सौभाग्यशाली जो मैंने सबसे पहले,
अ- अनार पढ़ा।
और बोलना चाह जब कुछ मैंने तो;
तो सबसे "माँ" कहा।

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13 AUG 2021 AT 15:17

दोस्त सुख में संघ जो खूब झूमे;
ओर दुख में दृढ़ता के साथ ,
जो संघ खड़ा रहे ।
कहाँ हर बात कोई घर कह पाये,
कैसे कोई बात जो दोस्त से छीपी रहे जाये;
दोस्त जो बिन कहे सब कुछ समझ जाये।
दोस्ती एक धर्म है, जो जातियों से बंधे न ;
दोस्त ओ जो गोरे-काले के भेद को समझे न ।
हो दोस्त एक नहीं अनेक हो ,
पर एक दोस्त कर्ण हो ;
जिसका धर्म दोस्ती ,
और जिंदगी जिसकी दोस्त हो।

#विजयपद्यसंग्रह४३






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1 AUG 2021 AT 15:26

मेरी सबसे अच्छी मित्र किताबें 📚 हैं;
परन्तु !
मुझे सबसे ज्यादा नफ़रत पढ़ने से है।

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25 JUL 2021 AT 9:19

मैं टूट सकता हूं! किन्तु मुड़ नहीं सकता।
🙏🏻अमर शहीद श्री देव सुमन🙏🏻

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3 JUL 2021 AT 8:36

आवाज़ निकली है तो दूर तक जायेगी;
चिनगारी जल गई है, आग भी लग जायेगी।

#उत्तराखण्ड_मांगे_भू_कानून

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22 JUN 2021 AT 10:52

चिनगारी जल गई है! आग भी लग जायेगी।
देख कुछ समय बाद तेरे शहर में बस राख रह जायेगी।

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