18 JUL 2019 AT 22:01

अब के सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई,
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई,
आप मत पूछिए क्या हम पे सफ़र में गुजरी ?
था लुटेरों का जहाँ गाँव वहीं रात हुई।

गोपालदास "नीरज"















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