कुछ उम्मीदें अपने दिल से भी लगाईं होती
काश कुछ ख्वाहिशें अपने लिए भी सजायीं होती
इस जिन्दगी के मायने कुछ और होते ही होते आज अगर आपने अपने लिए भी जिन्दगी चाही होती।-
कुछ उम्मीदें अपने दिल से भी लगाईं होती
काश कुछ ख्वाहिशें अपने लिए भी सजायीं होती
इस जिन्दगी के मायने कुछ और होते ही होते आज अगर आपने अपने लिए भी जिन्दगी चाही होती।-
ये शाम मुझे घर की याद दिलाती है,
कहीं रास्तों पे उड़ती गौधूल नजर आती है।
मैं लौटू भी तो कैसे अपने घर को,
एक मां है जो मेरे लिए कामयाबी की दुआएं गाती है।।
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जिंदगी के कुछ पल तो रंगीन हो जायेंगे,
जब दूर से मिलने मेरे अपने आयेंगे।
नहीं मैं रोक तो नहीं पाऊंगी उन खुशनुमा पलों को
पर बेहतर होगा जब वो कुछ देर और रुक जायेंगे।।-
अपने लिए जीना और अपनो के लिए मर जाना,
ये बर्दी सिखा रही है मुझे, देश का हो जाना ।
आखिरी सांस तक अपने वतन पर न्यौछावर हो जाना
मैं सीख गई हूं अब, अपने साथ भी वक्त बिताना।-
तेरे दर पर जो पड़ा है,उसकी भी अब अरदास सुन लो
दुनियां ने बहुत किया बर्बाद, अब तुम आवाद कर दो
नहीं ये सिर्फ धन,धान्य का मसला नहीं है, मेरे माधव!
अब मन सुकून चाहता है,
मेरे माथे पर अब अपने चरणों को धर दो।।🥹🥹🙏🙏-
मेरी मर्जियो को ना तुम यूं ठुकराना
जब छोड़े सारा जमाना तो तुम अपना हाथ बढ़ाना।
तुम दोस्त हो,तुम भाई हो,तुम जीवन हो मेरे
हे माधव! तुम मेरा साथ मेरे अंत तक निभाना।-
कोई ना अच्छा लगता है जब अपने दूर चले जाते हैं
मन को फिर घनघोर घेर कर, काले बादल छा जाते हैं लाख संभालूं नादान मन को फिर भी तो ये वही जाते हैं
अपने बसते हो जिस दिल में वहां ना फिर दूजे भाते हैं।
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ये रास्ते ये मुकाम भी बेहर है मगर इसमें भी कुछ कमी दिखती है।
रोया ही जाए ये जरूरी नहीं ध्यान से देखो, तो इन आखों में भी नमी दिखती है।
नहीं हमें अफसोस नहीं है कि हम सफलता की ओर बढ़ आए हैं
बस एक रोज हमें अपनो की कमी खलती है।-
कि कमा ही लाऊंगी मैं वो दौलत,
जो जमाने को चलाती है
मैं घर की लाडली बेटी हूं, 'विजेता'
जिसे मां रोज बुलाती है ।-