तरस गई हैं निगाहें तीरी इंतज़ार में`जय`मुनासिब हो तो ज़रा सा वक़्त मेरे लिए भी निकाल।। - `मृत्युंजय `✍
तरस गई हैं निगाहें तीरी इंतज़ार में`जय`मुनासिब हो तो ज़रा सा वक़्त मेरे लिए भी निकाल।।
- `मृत्युंजय `✍