कुछ क्षण ऐसे हमने पाये है,
ज़िन्दगी के पन्नो में जो सजाये है,
वो क्षण जो यादों के साये बन कर,
हर पल हर ज़र्रे में समाये है,-
मैं जो धीरे धीरे अपनी आकांछाओ को सीमित कर खुद को शावा को सोपना चाहता ... read more
ये अर्जियां सारी, बेतकल्लुफ़ है
ईमान ही रख अपने बेवफ़ाई का
सितमगर, सितम कर कहता नही
तू जिंदा रह,सबूत मेरी रिहाई का।-
जीवन बहती नदी से भी ज्यादा विलक्षण है
मरण, शून्यता की प्रक्रिया तो महज़ क्षण है।
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मेरी उखड़ी हुई सांसो की बहाली बन जा
तमाम ख़ुलूस भुला मेरी कहानी बन जा।-
वो जब भी मिली मुझ से हंस कर मिली
पूरी दुनिया से दूर दिल मे बस कर मिली।-
कोई बीती बात रह गई है,
जो अभी भी करनी बाकी है।
नहीं लग रहा दिलचस्प ज़माना अब,
लेकिन तेरे आने की एक आस बाकी है।
छपती रहती है खबर हर दिन नई अखबारों में,
मगर तुझसे तेरी खबर पूछनी बाकी है।
क्या रखा है इन अल्फाज़ की उलझनों में,
अभी तो तेरी खामोशी की अंताक्षरी सुननी बाकी है।
भरता हूं रोज़ शाम एक जाम गुमनामी के नाम,
मगर तेरे हाथ की बनी चाय पीनी बाकी है।
शायद मर तो चुके है जस्बात मेरे,
मगर ज़िंदा यादों को दफनानी बाकी है।
बन गई है ज़िंदगी बदलता हुआ कैलेंडर मगर उसमे,
मौत की तारीख आनी बाकी है।।-
ख़ामोश इतना कि ना बात करने की वजह ढूढता हूं
दर्द ए शेर लिख राहें मुश्किलातों का जगह पूछता हूं-
जब दीन दारी का लिबास चमकते तारों ने पाया
तब दूज का चांद भी दर्दमंदी का फ़साना भूल गया-
"हाँ" सुन्ने के बाद ये सहारा ही बहुत है,
वो लौट आएंगे ये दिलाशा ही बहुत है।-
कुछ सज़ा का मैं भी हक़दार था
ईश्क़ मे मग़र मैं भी वफ़ादार था
रोज़ पढ़ते है लेकिं कुछ नया नहीं
कल के सुर्खियों में मैं अख़बार था
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