Vijay Singh Panwar   (लेखक)
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Poet, Writer, Influencer, गढ़वाली।
बेटा, भाई, दोस्त, गुंडा मवाली 😀😀😀
Joined 7 June 2020


Poet, Writer, Influencer, गढ़वाली।
बेटा, भाई, दोस्त, गुंडा मवाली 😀😀😀
Joined 7 June 2020
9 MAR AT 23:50

बस मेरे सामने बैठी रहो तुम,
मुझे तुम्हें उम्र भर देखना है...।

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25 FEB AT 0:19

उसकी दुनिया में कभी शामिल ना हो सका,
मैं कभी भी उसके काबिल ना हो सका,

मैं जूझता रहा कश्ती की तरह लहरों में,
उस कश्ती का कभी साहिल ना हो सका,

समझ कर भी ना समझा उसके दिल को,
ए खुदा मैं क्यों बदनसीब जाहिल ना हो सका,

एक रात मैंने चाहा था सब ख़त्म करना,
मगर बुज़दिल मैं खुद का क़ातिल ना हो सका,

और इश्क़ तो मैंने बेपनाह किया था उससे मगर,
मगर अफसोस ये मेरा इश्क़ कामिल ना हो सका...।

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24 FEB AT 12:52

अब वो मुझ से डरने लगा है,
शायद मोहब्बत भी कुछ कम करने लगा है,

वो अब कम करने लगा है बातें,
अब मेरे पास वो कम ठहरने लगा है,

मैं फ़िर कुछ टूट सा गया हूं पहले सा,
वो भी शायद पहले सा बिखरने लगा है,

मैं मरहम नहीं हो सका उसकी तकलीफों का,
उसका पुराना ज़ख्म फिर से उभरने लगा है,

मेरी मौजूदगी की अब उसे फिक्र नहीं,
मेरा होना उसे अब कुछ अखरने लगा है,

और इश्क़, मोहब्बत, प्यार का ये सिलसिला,
बस अब मेरी यादों से गुज़रने लगा है...।

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17 SEP 2023 AT 21:49

नशा जब हद तक चढ़ जाए तब क्या करे,
दर्द जब हद तक बढ़ जाए तब क्या करे,
बाहर से ज़िंदा रहना ही जब मजबूरी हो,
अंदर तुम्हारे सबकुछ मर जाए तब क्या करे...

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22 JUL 2023 AT 14:28

इतने ज़ोर से चूमो तुम मेरे होंठो को,
की इनमें फिर कोई और स्वाद ना आए,

इतना असर कर दो अपनी बातों का मुझ में,
की फिर तुम्हारे अलावा ज़हन में कोई और बात ना आए,

मोहब्बत अपनी तुम इतनी मुझ में भर दो,
की कोई मेरे करीब तुम्हारे बाद ना आए,

मेरे साथ चलो उम्र के आखिरी मोड़ तक,
की मुझे परवाह नहीं फिर कोई मेरे साथ ना आए,

मुझ में डूब जाओ मुझे खुद में समाने दो,
की फिर शायद दुबारा मोहब्बत की ये रात ना आए...

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21 MAY 2023 AT 21:49

देखकर तेरे लाल लब तेरा लाल लिबास,
लगता है मेरे इश्क़ का रंग ही लाल है...

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8 APR 2023 AT 0:59

जाने को तो वो चला गया मगर,
अपने होठों का एहसास मेरे होंठो पर छोड़ गया...।

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5 APR 2023 AT 20:49

कोई और ना हो सका,
आख़िर उदासी तो हुई हमारी,
उम्मीद भी करें तो अब किसकी,
आधी उम्र तो हमने तन्हा है गुज़ारी...।

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5 APR 2023 AT 20:42

मुद्दातों चलता रहा काफ़िर को घर ना मिला,
सफ़र करता ही रहा उसे हमसफ़र ना मिला...।

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4 APR 2023 AT 22:31

कुछ बातें थी जो कही नहीं,
कुछ आंसू थे जो गिरे नहीं,
वो गले मिले तो ऐसे मिले,
की जैसे बरसों से मिले नहीं...।

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