कई बार नासाज रही तबीयत, कुछ दिल भी बीमार हुआ,
जहन को अब कुछ पसंद आता नहीं.
दोस्तों को गिला है कि कुछ बताता नहीं,
क्या बताता कि जबकि ये हादसा बहुत बार हुआ...
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बेहद शानदार लम्हें थे पर कहाँ ठहरते हैं,
मुट्ठी बंद भी कर लूँ तो रेत फिसलती है...
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तमाम कोशिशों के बाद भी कभी मिला नहीं,
न जाने कौन रहता है अंदर मेरे...
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क्या मतलब की किधर जाते हैं,
दिल से उतरने वाले कहाँ जाते हैं.
कौन सोचता है उनके बारे में,
जो लोग नजरों से उतर जाते हैं...
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हर किसी के आगे सजदा नही करता,
खुदा है तो रह तुझसे साबका नही करता.
मेरी राह है मेरी, मेरी मंजिलें अपनी,
चलना है तो चल, कोई गिला नही करता.
उम्मीद उतनी ही रखना जितने के काबिल हूँ,
यूँ किसी से कोई झूठा वायदा नही करता.
अपने रुतबे की हनक खुद तक महदूद रख,
बेहिसी में भी हस्ती-ए-रायगाँ नही रखता.
अपने पैरों से चलने का हुनर है मुझ में,
चराग ए दैर से घर को उजाला नही करता...
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बताना भी नही है, छुपाना भी नही है,
ज़ख्म जमाने को दिखाना भी नही है.
हालात ये के घुट घुटकर मर जाएं,
बात उनको ये जताना भी नही है.
सिसकियां अब उबल पड़ने को है,
सामने उनके आना भी नही है,
रोके रखना खुद को बहुत मुश्किल,
उनकी गलियों में जाना भी नही है.
कोई सूरत नही दिखती अब सुकूं की,
हर्फ़ आमाल पे कोई लाना भी नही है...
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क्या खोकर क्या पा लेंगे यह सोचना है भूल,
तशद्दुद के अहद में जीना नही अच्छा...
बड़ी मुश्किल से मिलती है इक उम्र जीने को,
गफलत की परछाई में उसको जाया नही करते...
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नज़र में रहकर दिल से उतर जाना,
जिंदा रहते हुए क़िरदार का मर जाना...
तालियों की गूँज में चमकते चेहरे,
होंठो पे हँसी और दर्द का उभर आना...
ख्वाहिशों के थपेड़े में हाँफती जिन्दगी
मौत से बदतर है एहसास का मर जाना...
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मेरी मजबूरियां भी रोती हैं हालात पर मेरे,
जमीर है कि समझौता गवारा नही करता...
घर फूँक कर आया हूँ जिन्दगी के तमाशे में,
टूटने की हद क्या बताओगे मुझे...
जाना है दूर बहुत दूर सितारों से आगे,
जेब छोटी सही पर दिल को बड़ा रखना है...
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