***तर्क और अंधविश्वास***
जब सब पूजा और व्रत से मिल सकता है
फिर पता नही क्यों मानव, दिन रात पढ़ता है
जब सब, मांगने से मिल सकता है
फिर क्यों मानव, धूप में कर्म करता है
जब सब कुछ,भगवान की मर्जी है
फिर महिला शोषण,क्या उसकी मर्जी है
चीखती निर्भया, जलती मनीषा,
क्या देवी तेरी मर्जी थी
नारी ही दुर्गा को पूजे,
फिर दुर्गा नारी की रक्षा क्यों नही करती है
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दिल धड़कता क्यों है, तेरे लिए
दिल तड़पता क्यों है, तेरे लिए
तू नही, तो कुछ नही
तू है, तो गम नही
तुझे पाकर, तुझमें समाना चाहता हूं
तुझे पाकर, खुद को भुलाना चाहता हूं
निगाहें टिकी रहती है, हर रोज तेरी राह में
तेरी राह में पलके बिछाना चाहता हूं
बेशक तुम मेरी मोहब्बत हो
मगर प्यार के वो तीन शब्द, तेरी जुबां से सुनना हूं
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आवाहन है नौ देवियों का, जो नवरात्रि में ही आती है
साल में दो बार आ करके, सबसे भोग लगवाती है
महिषासुर के बाद, तुमने न कोई वध किया,
इस बार तो आ करके, ब्लातकारियो का वध कर दो
जलती माएं और शोषित बहनों की,
पीड़ा तो अब तुम सुन लो
यदि सच में दुष्ट विनाशक हो,
नारी को इतनी शक्ति दे दो
फूलन देवी जैसे बन कर, दुष्टों का वो संहार करे
जब तक चुप होगी नारी, उस पर अत्याचार होगा
नारी खुद बन कर दुर्गा, अब दुष्टों का संहार करे
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देश के सारे बाबाओं को नपुंसक कर देना चाहिए
क्योंकि बाबाओं का चोला पहने हर जगह आसाराम और राम रहीम के चेले ज्ञान बांट रहे है
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यदि देश के संस्थानों को बेचना ही देश का विकास है तो फिर एक एक करके संस्थाओं को मत बेचिए
एक बार में देश के सारे सरकारी संस्थानों को बेच देना चाहिए और देश के विकास में तेजी लानी चाहिए
हमे रोजगार और शिक्षा नही, हमे धर्म चाहिए
पेट तो हम मंदिर में भीख मांग कर भी भर लेगे
नए युवाओं की नई सोच-
पता नही क्यों दर्द सा उठता है, तुझसे दूर जाने के बाद
हरदम याद सी आती है, तुझसे दूर जाने के बाद
खता हो जाने बाद ही, अहसास होता है
तुझसे बिछड़ कर ही क्यों, तुझपर प्यार आता है-
जिंदगी दर्द है, न मिला हमदर्द है
दिल के जख्मों को, दिखाऊं मैं कैसे
जब जख्म अपनो ने ही दिए हो,
तो गुनहगारों के नाम बताऊं मैं कैसे
कहने को जिंदगी चार दिन की है
मगर हमदम, हमदर्द न हो तो दर्द बहुत है
चार दिन की, जिदंगी जरूर है
मगर जब दर्द बहुत हो, तो एक दिन भी बहुत है
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धर्म रक्षा के नाम पर नफरत क्यों?
सनातन सभ्यता हम सब की है,
कहने को सब हिंदू है
है वशुधैव कुटुंबकम सोच अपनी,
कहलाते हम हिंदू है
कुछ निम्न सोच के लोगो ने,
धर्म का बंटवारा कर डाला
ऊंच नीच में बांट कर लोगो को,
सनातन सभ्यता को कमजोर कर डाला
पंचतत्व का शरीर सबका,
सब की नशों में रक्त बहता है
कुछ ग्रंथो का बहाना लेकर,
मानव मानव में तनाव रखता
कई ग्रंथ रचे फिर मानव ने,
मानव-मानव में भेद किया
अंधविश्वास का ताना बाना बुनकर,
सनातन सभ्यता को कमजोर किया
— % &हम विदेशियों के गुलाम बने,
क्योंकि हम सब एक न थे
हर दुश्मन ने भारत छोड़ा,
जब हम सब मिलकर एक बने
धर्म की आंड फिर लेकर,
कुछ लोगो ने जहर घोलना शुरू किया
ऊंच नीच की दीवार बना कर,
मूछ रखने पर ही वार किया
घोड़ी चढ़ने, मंदिर जाने पर,
मंदिर को ही धुलवाया है
कुछ ग्रंथो का बहाना लेकर,
मानव मानव को लड़ाया है
जिस राम ने, राम राज्य में
हर मानव को अपनाया था
धर्म की आंड में अंधे होकर,
राम के गुणों को भुलाया है
राम नाम का चोला पहन कर,
रावण जैसे मत काम करो
जाति विशेष के लोगो पर,
धर्म के प्रति न अविश्वास भरो
— % &-
भगत सिंह बनना होगा
भारत के बेटों तुमको फिर से, भगत सिंह बनना होगा
अपने अधिकारों की खातिर, तुमको आगे बढ़ना होगा
धर्म की राजनीति में न पड़ कर, अधिकारों हित लड़ना होगा
भारत के बेटों तुमको फिर से, भगत सिंह बनना होगा
कब तक फ्री का खाओगे, फिर से मेहनत करना होगा
शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार हित, तुमको फिर से लड़ना होगा
अब उठो सोए हुए मुर्दों, तुमको आगे बढ़ना होगा
भारत के बेटों तुमको फिर से, भगत सिंह बनना होगा
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हर बार एक स्त्री के दहन का, जस्न तो मानते है
मगर खुद के अंदर के, अवगुणों को भूल जाते है
आओ इस बार, ईर्ष्या को जलाते हैं
गिले सिकवे भूल कर, होली मनाते है
रंगो के साथ दिलों को मिलाते है
नफरत के रंग में, प्यार का रंग चढ़ाते है
गिले सिकवे भूल कर होली मानते है
Wishing you colorfull Holi-