अच्छी बात करने के लिए न मुहूर्त, दिन और रात चाहिए
अच्छी बात के लिए केवल मन से शुरुआत चाहिए।
विषय की गम्भीरता स्वयं पर संयमता
आँख खुले न खुले बस जज्बात होनहार चाहिए।
गरीबी, लज्जा, जाति, धर्म की कई दबिश हो साथ
सबके दर्द को समझे कोई शख्सिय़त खास चाहिए।
बात जिहाद की हो या धर्म क्रांति की
जागकर उस भगवद् पर अटूट विश्वास चाहिए।
मामला दोनों का निपटे दोनों तार-तार होंगे
बस सहूलियत से दोनों एक साथ चाहिए।
काग़ज चाहे रंगीन हो या एकदम सादा
बस छपे हुए शब्द सच्चे तथा हिसाब का चाहिए
कलम से छपने वाला शब्द भी गम्भीर ज़ख्म देता है
बस कलम की चेतना मस्तिष्क के आसपास चाहिए
अच्छी बात........
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