यहाँ
कभी जो ना पूरे हो पाए यहाँ
चाहते तो हम भी थे तुम्हारा होना
पर दो किनारे आज तक मिल पाए कहाँ-
क्या खूब लिखा है की……..
अब मिले नहीं हम तो लाख ख़ामियाँ है मुझमें
कभी हम भी एक शक्स के लिये सब कुछ हुआ करते थे-
करने में उमर बीत जाती है
कमा लो ये धनदोलत जितनी कमा सको
क्योकि मोहब्बत तो यहाँ चंद नोटों में बिक जाती है-
पता नहीं क्यों मुझे उसका इंतज़ार रहता है
पता नहीं क्यों ये दिल उसके लिये बेक़रार रहता है
ये तो साफ़ है की वो सब कुछ है मेरे लिये
पर पता नहीं क्यों उसकी आँखों में इज़हार और होटो पर इंकार रहता है-
क्यों ऐसा होता है की हर बार मुझे ही पूछना होता है
क्यों ऐसा होता है कि हर बार मुझे ही टूटना होता है
इतना प्यार इतनी इज्जत करने के बाद भी मुझे प्यार ना मिले….
तो कोई बात नहीं मेरी ही गलती है
मुझे भी तो प्यार हर बार उसी से होता है-
ए-ज़िन्दगी तेरे दिए किरदार को इस क़दर निभा रहा हूँ मैं
हर दिन अपनो से दूर होता जा रहा हूँ मैं-
ख़ाली जेब बस इतना सिखाती है
प्यार ने तो क्या साथ देना था
दोस्ती भी दूरीयाँ बनाती है-
माना कि किताबों से हमारा रिश्ता कुछ ख़ास नही
पर यक़ीन मानिए हम चेहरे बहुत अच्छे से पढ़ते है-
Sab phle or dusre pyar ki baat krte hai,
Pr agr kisi ko uska akhri pyar bhi na mile….💔
to vo kya kre ??…. Koi btaega……-