Vijay Prakash Vijay Nisarg   (Vijay P Vijay 'Nisarg')
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Joined 18 May 2020


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Joined 18 May 2020

छोटी-सी तो बात थी, तुम बनाए बतंगड़।
फ़िजूल ज़ख्मी हुए, खुद ही से लड़ कर!
छोटी-सी तो बात थी, करते नजरअंदाज
तो ज़िन्दगी में होता सुकून आज बढ़कर!

छोटी-सी तो बात थी, मगर तुम रूठ गए!
कहीं के ना रहोगे सनम, जो हम टूट गए!
खातिर करो उसकी जो दिल से तुम्हें चाहे,
उनको बेशक जाने दो जो तुमसे छूट गए!

छोटी-सी तो बात थी, मगर तुम चल दिए!
ज़ज़्बाते इश्क ने हमसे कितने छल किए!
तुम ज़ीस्त में आए और मुझसे गले मिले!
और फिर चल दिए बिना कोई गल किए!

छोटी-सी तो बात थी, पर कहर ढा दिया!
अपने पशुत्व को सब की नजर ला दिया!
बहा दिए तुमने, नफ़रतों के नाले अनन्त,
आदमी को पशुत्व के स्तर पर ला दिया!

छोटी-सी तो बात थी, ग़ज़ल बना दिया!
शब्द-पाथर जोड़के, ये महल बना दिया!
प्यार में आए तुम, दिल के इतना करीब!
जीस्त में तुमको अपनी पहल बना दिया!

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No matter how many scriptures,
Upanishads, Vedas we read,
how many good words or sayings we speak,
they won't do us any good
unless we apply them in our living.

हम चाहे कितने भी धर्मग्रंथ, उपनिषद, वेद पढ़ लें,
कितने भी अच्छे शब्द या कहावतें बोल लें,
जब तक हम उन्हें अपने जीवन में नहीं अपनाएंगे,
उनसे हमें कोई फायदा नहीं होगा।

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"I love you as deep as the waters run in the ocean,
and as deep as the universe goes. There is no magic, no spells,
I'm only in love with you for
who you are...

"मैं तुमसे उतना ही प्यार करता हूँ,
जितना समुद्र में पानी की गहराई है, व उतना ही गहरा जितना ब्रह्मांड है।
कोई जादू नहीं है, कोई मंत्र नहीं है,
मैं केवल तुम्हारे वास्तविक स्वरूप के लिए
तुमसे प्यार करता हूँ!

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आओ जानें हमें लूटा कैसे, किन किन लोगों ने !
क्या क्या पल दिखाए हमें कृतकर्म के भोगों ने !

हमें तो लूट लिया मिलके धर्म के धंधेबाजों ने,
फिज़ूल कर्मकाण्डों ने, धामों ने वा बाबाओं ने!

हमें तो लूट लिया मिलके हाट और बाजारों ने,
मंहगे और फूहड़ विवाहों ने हुड़दंगी त्यौहारों ने!

हमें तो लूट लिया मिलके शिक्षा के व्यापारी ने,
शिक्षित की मक्कारी ने, राजनेता की गद्दारी ने!

हमें तो लूट लिया मिलके दर्प और दिखावे ने,
असर अपना खो दिया वेदोपनिषद के दावे ने!

हमें तो लूट लिया मिलके मीडिया के मित्रों ने,
टीवी के झूठे एंकरों ने और इंस्टा के चित्रों ने!

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प्रशान्ति विद्या मंदिर, सीनियर सेकेंडरी स्कूल
महावीर नगर द्वितीय, कोटा

आयोजक:

प्रशान्ति विद्या मंदिर एलुमनी

दिनांक:

समय:

स्थान:

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वही हो रहा, जो होना है,फिर, किस बात का रोना है?
मृगमरीचिका ये दुनिया, यहां क्या पाना क्या खोना है?
जो चाहे सुफल की फसल,तो बीज सत्कर्म के बोना है।
कर्तापन का शोर न कर,तू नियति का एक खिलौना है।
पराचेतन के साधक को, प्रेम चादर, विराग बिछौना है।
निरंजन,पे प्यार-रंजित, निराकार, पे रूप का सलोना है।

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Unconditional Love

No lover, nor beloved,
Love is just like a flow!
Bestowed upon all,
With a Spiritual Glow!

 
नि:स्वार्थ प्रेम

न कोई प्रेमी, न कोई प्रिया,
प्रवाह-सी प्रेम की सौगात! 
सबको मिलती बिना दिये, 
आध्यात्मिक लौ के साथ!

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HAPPY BIRTHDAY TO YOU

May you live long Serene and Strong!
As we are blessed by your soul's song!
May stay blessed in whatever you do!
Because people like you are truly few!

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होलिका की हार्दिक शुभकामनाएं

प्यार का त्यौहार होली,
खेलो संग रंग-गुलाल!
इक-दूजे से मिलो गले,
छोड़ सब रंजो मलाल!

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 है भगवा ओढ़ता हिन्दू , और हरा पहने मुसलमान! 
मैं कौन सा रंग पहन लूँ , कि- जो बन जाऊं इंसान! 
तुम पहन लो रंग सफेद, जिसमें सब ही रंग समाए! 
या ओढ़ लो काली चुनरिया जिसे कोई रंग न पाए!

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