छोटी-सी तो बात थी, तुम बनाए बतंगड़।
फ़िजूल ज़ख्मी हुए, खुद ही से लड़ कर!
छोटी-सी तो बात थी, करते नजरअंदाज
तो ज़िन्दगी में होता सुकून आज बढ़कर!
छोटी-सी तो बात थी, मगर तुम रूठ गए!
कहीं के ना रहोगे सनम, जो हम टूट गए!
खातिर करो उसकी जो दिल से तुम्हें चाहे,
उनको बेशक जाने दो जो तुमसे छूट गए!
छोटी-सी तो बात थी, मगर तुम चल दिए!
ज़ज़्बाते इश्क ने हमसे कितने छल किए!
तुम ज़ीस्त में आए और मुझसे गले मिले!
और फिर चल दिए बिना कोई गल किए!
छोटी-सी तो बात थी, पर कहर ढा दिया!
अपने पशुत्व को सब की नजर ला दिया!
बहा दिए तुमने, नफ़रतों के नाले अनन्त,
आदमी को पशुत्व के स्तर पर ला दिया!
छोटी-सी तो बात थी, ग़ज़ल बना दिया!
शब्द-पाथर जोड़के, ये महल बना दिया!
प्यार में आए तुम, दिल के इतना करीब!
जीस्त में तुमको अपनी पहल बना दिया!
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