तुम भी बिल्कुल बारिश की तरह हो चली हो ,
कभी भी आती जाती रहती हो ।-
मोहल्ले से इश्क को छुपाने चले थे ,
वो बारिश बनकर शहर में गिर पड़े l-
पुनर्जन्म हो तो मैं फिर यही जन्म चाहूंगा,
इसी मां की गोदी में फिर से खिलखिलाऊंगा,
पापा की उंगली थाम कर हर पहली को सुलझूंगा,
भाई का साथ पाकर हर दुश्मन से लड़ जाऊंगा,
गिर के उठ कर चलकर उडकर,
मेहनत से , फिर अपनी मंजिल को पाऊंगा,
पुनर्जन्म हो तो मुझे फिर बस यही जन्म चाहूंगा।-
खेल में आज फिर दिमाग जीत गया, दिल सिस्किया लेता रहा और इरादा मजबूत हो गया।
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पन्ने दर पन्ने कहानी लिखते चले गए
जुबानी किसके न आ सकी पर जवानी हलके से चली गई......-
जहां रास्ते खतम हो जाते है , गहराईयां शुरू हो जाती हैं।
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कभी किसी को आईना दिखाने की कोशिश मत करना क्योंकि
कभी कभी आईने में कमियां नहीं दिखती ।-
इच्छा कभी आखरी नही होती ।
और
आखरी इच्छा पूरी नहीं होती |-
मुझे तुमसे नफ़रत तो नही है , पर तुम्हारी फितरत से हैं जो हर पल बदलती रहती है ।
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