ViJay Patil  
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Joined 24 July 2017


Joined 24 July 2017
20 APR 2022 AT 12:24

यह ज़िंदगी जो अब रिवायत हो गई है/
एक शख्स भि तो रहता था यहाँ कुछ रोज़ पहले

@nand.

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23 OCT 2021 AT 11:18

इश्क को हद से गुज़र जाने दो/
जुनून कि तरह जिस्म मे उतर जाने दो

मैं मिट्टी हूँ तुम्हारे बदन पर फैली हुई/
यूं करो मुझको हर तरफ बिखर जाने दो

@nand.

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9 JUN 2018 AT 20:53

तेरी आँखों से मुसलसल बह रहा हूँ मैं/
यूँ हिज्र के बाद भी दिल मे रह रहा हूँ मैं ।।

@nand.

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5 JUN 2018 AT 19:44

मुझको तू मिल जाए, तो खुदा कुछ और नही/
रब है मेरे यार सा, जुदा कुछ और नही !!

@nand.

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3 JUN 2018 AT 13:32

“उर्दू”

‘बे’ ‘अलिफ़’ ‘ते’ से मिलकर ‘बात’ बनती है/
यूँ लहज़ा-लहज़ा उर्दू हज़रात से मिलती है !!

बहोत लम्हे, तमाम पल गुज़ारो तुम मुहब्बत में/
तब कहीं जा कर रिश्तों की सौगात बनती है !!

हमको भी चले जाना है, वो गुज़र गए जैसे/
उजाले अच्छे हैं मगर इनको भी रात लगती है !!

वो हिन्दू है, मुसलमा हूँ मै मगर/
आदमी होने को कब कोई जात लगती है !!

हाँ दरीचों से झाँकने का शऊर नही मुझको/
आफताब हूँ, रोशन होने को इक कायनात लगती है !!

@nand.

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